जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईवीएम लंबे समय से इस्तेमाल में है, लेकिन समय-समय पर मुद्दों को उठाने की मांग की जाती रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दल को चुनाव प्रक्रिया के तहत मतदाताओं से मान्यता नहीं मिली है, वह याचिकाएं दायर करके मान्यता लेना चाहता है. पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि इस तरह की याचिकाओं को रोका जाना चाहिए और इस प्रकार 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज की जाती है. यह राशि आज से चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट ग्रुप-सी (गैर-लिपिकीय) कर्मचारी कल्याण संघ के पास जमा कराई जाए.