उदन्ती के ग्रामीणों पर जलसंकट: झरिया का पानी पीने से मजबूर, बून्द बून्द के लिए तरसती जिंदगी

●नलजल योजना भी ढप

गरियाबंद : गरियाबंद जिला के अंतर्गत विकासखंड मैनपुर जो कि आदिवासी बहुल इलाकों के नाम से जाना जाता है इसके ग्राम पंचायत कोयबा के आश्रित पारा बमनीझोला, ऊपरपारा, बीचपारा, व उदंती, के सैकड़ों ग्रामीण आज झरिया का पानी पीने को मजबूर है। बता दे मई जून के इस भीषण गर्मी में हर रोज लगभग 1 से 2 किलोमीटर रोज पैदल चलकर ग्रामीण झरिया से पीने के लिए पानी ला रहे हैं। सूखा नदी से रेती हटाकर जल इक्कठे कर रहे हैं और इसी झरिया के पानी से ही पीने के साथ-साथ नहाना धोना बर्तन साफ करना जैसे दैनिक कार्य कर रहे हैं।

वही सुबह नहाने के लिए भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पीने के लिए पानी नहीं है लिहाजा नहाने के लिए पानी कहां से मिलेगा। ग्रामीणों ने बताया कि अपनी मांग को लेकर कई सरकारी दफ़्तर जा चुके है यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी अपनी आवाज उठा चुके हैं पर उनकी मांग आज भी अधूरा है। यहां के ग्रामीण मौजूदा स्थिति में बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। कोई संज्ञान लेने वाले नही बून्द बून्द पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं।


बिना वैकल्पिक व्यवस्था के नल कनेक्शन कहकर चालू नल को खोला, महीनो से बन्द पड़ा नलकूप और कनेक्शन

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार यहां नल जल योजना के तहत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए पानी टंकी का निर्माण होना था यहां अफसर भी मुआयना करने के लिए आए थे और जो नल कूप पहले से अच्छी चल रहे थे जिस नलकूप से इन ग्रामीणों का पेयजल आपूर्ति हो पा रहा था नल जल योजना आएगा कह कर चालू स्थिति के नलकूपों को खोल दिए। बिना वैकल्पिक सुविधा देकर अब क्योंकि नल जल योजना ठप पड़ा हुआ है काम बंद पड़ा हुआ है। फलस्वरूप पिछले 2 महीने से यहाँ के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। मौजूदा स्थिति को गौर करें तो एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब नल जल योजना के लिए घरों तक पानी पहुंचाना है तो पहले चालू स्थिति के नल को क्यों खोला गया।

अगर चालू हालत के नल को खोल दी गई तो उसके वैकल्पिक सुविधा ग्रामीणों को क्यों नहीं दिया गया। अब नल जल योजना भी नहीं है। ना घरों तक पानी आ रही है जोनल पहले से ग्रामीणों की प्यास बुझा रही थी अब उस नल को भी खोल दिया है। अब ग्रामीण जाएं तो जाएं कहां अपनी रोजमर्रा जिंदगी के लिए पानी पेयजल आपूर्ति कैसे होगी मजबूरन सूखा नदी के रेत हटाकर पिछले दो महीनों से जल संकट से जूझ रहे हैं ऊपर से जून के गर्मी का महीना

पंचायत व अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप!

ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत कोयबा के ऊपर पारा, बीच पारा, व उदन्ती में करीब 25 से 30 परिवार होना बताया गया है और जनसंख्या की बात करें तो इन 3 पारा में करीब सौ से ज्यादा लोग निवास कर रहे हैं और कोरोनाकाल की इस समय पर पेयजल आपूर्ति जल संकट से दोहरी मार झेल रहे हैं। अब इन ग्रामीणों के ऊपर पेयजल संकट का बादल खड़ा हो गया है।

बूंद बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। भीषण गर्मी के चलते पेयजल आपूर्ति बंद हो जाना इन पहाड़ी इलाकों के लिए लोगों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं ना कोई अधिकारी सुध लेने पहुंच रहा है और ना ही पंचायत इनकी बातें सुन रहा है।

ग्रामीणों ने कहा कि पीएचई से भी संपर्क किए पर कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में उन्होंने दैनिक गरियाबंद के जरिए सरकार से यह गुहार लगाई है कि विगत 2 से 3 महीने से त्रासदी झेल रहे इन्हें गरीब बेसहारा परिवारों को पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए यहां काफी छोटे-छोटे बच्चे है और वह भी पानी के लिए जूझ रहे हैं हर रोज 1 से 2 किलोमीटर पैदल जाकर पीने की पानी इकट्ठा कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ स्टेट ब्यूरो चीफ उमेश यादव की रिपोर्ट Yadu News Nation

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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