आध्यात्मिक मिलन समारोह

मिलन होता है स्वयं से स्वयं का -मुनि रमेश

उमरौई (मेघालय) बर्धमान जैन|: आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ठाणा -4 का मेघालय की धरा पर आध्यात्मिक मिलन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री रमेश कुमार जी ने कहा – आध्यात्मिक मिलन का अर्थ अपने परमात्मा से मिलना साक्षात्कार करना। हमारी आत्मा साधना के द्वारा आत्मशक्ति को, तेजस्विता को प्राप्त करती है वह आध्यात्मिक मिलन है। गुरु परम्परा से, आत्मा से, स्वयं का स्वयं से मिलन होता है। साधना की उज्ज्वलतम आत्मिक शांति मिलती है।संत मिलन से पूर्व इंतजार के पल आनंददायी होते है। मुनिश्री प्रशांत कुमार जी साधक,आत्मार्थी है।संत मिलन आंनददायक, कल्याणकारी होता है।संत मिलन से श्रावक समाज प्रेरणा ग्रहण करें।संत किसी भी देश,वेश, परिवेश के हो वे सदैव पूज्यनीय होते है।फल, सूर्य का प्रकाश सभी के लिए एक समान होता है।संत की नजर में कोई भेद नहीं होता है। सिलचर गुवाहाटी की दो धारा आज मिली है। गुवाहाटी का सुखद चातुर्मास उपलब्ध कारी रहा। गुवाहाटी सभा में दम है। गुरुदेव धर्म सम्प्रदाय से हटकर मानवता के लिए जनकल्याण के लिए बहुत बहुत कार्य कर रहे है। मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – संतों का मिलन अपने आप में प्रेरणादायक होता है। दोनों सिंघाड़ों का तीन वर्ष के अंतराल के बाद मिलन हो रहा है। गुरु कृपा से संयोग मिला आनन्ददायक मधुर मिलन का‌। प्रथम बार मेघालय की धरा पर मिलन हो रहा है। यात्रा में कष्ट होता है लेकिन आंनद बहुत आता है और यात्रा के मध्य संतों का साथ मिलने से सारी थकान उतर जाती है। संतों का आत्मीय प्रेम से प्रसन्नता का अनुभव होता है। मुनिश्री का हमारा पुराना आत्मीय भाव है। मुनिश्री रमेश कुमार जी प्रभावशाली,प्रलम्ब यात्रा करने वाले है। सुदूर प्रांत की यात्रा के माध्यम से धर्मसंघ की बहुत प्रभावना की है। आपका साथ रहना सुखद लगता है। आपके सहयोगी संत रत्न कुमार जी सेवाभावी, कर्मठ,साताकारी है।हमारा श्रावक समाज श्रद्धा भक्ति से परिपूर्ण सक्षम एवं जागरुक हैं। मुनिश्री गुवाहाटी का ऐतिहासिक,सफलतम चातुर्मास सम्पन्न कर पधार रहे है। मुनिश्री ज्ञानेंद्र कुमार जी मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य, मार्गदर्शन, प्रेरणा से यह प्रवास बहुत प्रभावकारी रहा। सिलचर श्रावक समाज समन्वयवादी है। श्रावक समाज में ज्ञान दर्शन चारित्र तप के प्रति अहोभाव है। बहुत सुखद प्रवास रहा जिसे विस्मृत नहीं किया जा सकता। समीपवर्ती श्रीभूमि एवं शिलांग दोनों क्षेत्र भी अपने आप में जागरुक हैं। देव गुरु एवं धर्म हमारे जीवन के बहुत बड़े आधार है।

मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने विचार व्यक्त किए। मुनिश्री रत्न कुमार जी ने दोनों सिंघाड़ों के प्रवास एवं संत मिलन के महत्व को बताया।

कार्यक्रम का शुभारंभ नाहटा परिवार की बहनों के मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथ सभा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। चारों संतों का परिचय गुवाहाटी सभा सहमंत्री अशोक बोरड ने दिया। स्वागत भाषण गुवाहाटी सभा अध्यक्ष बाबूलाल सुराणा ने दिया। सिलचर सभा संरक्षक बुद्धमल बैद, सिलचर तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष पंकज मालू, श्रीभूमि सभा मंत्री विवेक लालाणी, शिलांग सभा मंत्री विनोद सुराणा, गुवाहाटी तेयुप सहमंत्री तरुण बैद, गुवाहाटी महिला मंडल मंत्री सुचित्रा छाजेड़, शिलांग महिला मंडल अध्यक्ष नयना सेठिया, दिलीप दुगड़, अणुव्रत समिति अध्यक्ष संजय चौरड़िया,बोरड परिवार ने वक्तव्य एवं गीत के द्वारा विचार व्यक्त किए। गुवाहाटी सभा एवं शिलांग सभा द्वारा सम्मानित किया गया। आभार गुवाहाटी सभा मंत्री राजकुमार बैद ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री रत्नकुमार ने किया। सम्मान समारोह का संचालन सहमंत्री राकेश जैन ने किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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