मणिपुर में पहली बार जैन संतों का आगमन

जीरीबाम (बर्धमान जैन): आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी, मुनिश्री प्रशांत कुमार जी,मुनिश्री कुमुद कुमारजी, मुनिश्री पद्म कुमार जी का मणिपुर आगमन हुआ। जैन धर्म के संतों का प्रथम बार आगमन पर जैन समाज में विशेष उत्साह दृष्टिगोचर हो रहा था। इस अवसर पर जिला कलेक्टर श्री कृष्ण कुमार जी ने मुनिवृंद के दर्शन उपासना का लाभ लिया। वार्तालाप में जिला कलेक्टर श्री कृष्ण कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि – जैन धर्म के साधु संत परोपकारी होते है।वे अपने विचारों से मानवता के हित का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हैं। आपका यह जनकल्याणकारी कार्य बहुत जरूरी और उपयोगी है। जैन धर्म के तप त्याग एवं जीवन निर्माण की बातों से मैं बहुत प्रभावित हूं। जैन धर्म विश्व कुटुम्ब की बात करता है।
मुनिश्री डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने कहा- हम जैन साधु स्व कल्याण की साधना के साथ साथ पर कल्याण का कार्य भी करते है। भगवान महावीर स्वामी ने सभी आत्मा को एक समान बताया। जैन धर्म विश्व कल्याणकारी धर्म है। मैत्री एवं अनेकांत का सिद्धांत समाज एवं दुनिया में आ जाए तो विश्व की तस्वीर बदल जाएं। विश्व में समानता का सूत्र बहुत कार्यकारी है। आचार्य श्री तुलसी ने नारा दिया था – “इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान” मानवता का धर्म पहला धर्म है। अहिंसा सबका कल्याण करने वाली है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से कहा था कि आप शांति की मिसाइल बनाइए जो पूरे विश्व में शांति स्थापित कर सके। जरुरत है कि आज पूरा विश्व अहिंसा धर्म का पालन करें जिससे अमन चैन की जिंदगी जी सके। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा- गुस्सा एवं नशा दोनों से विवेक नष्ट होता है।इन दोनों से परिवार एवं समाज का बहुत विनाश हुआ है। जैन साधु आम जनता के बीच, स्कूल – कालेज – कारावास में व्यसन मुक्ति की प्रेरणा प्रदान करते है। हजारों हज़ारों लोगों ने व्यसन का त्याग करके अपने जीवन को परिवर्तित किया है। नशा समाज को खोखला बना रहा है। व्यसन मुक्ति का कार्य व्यापक स्तर पर होने से देश का बहुत हित हो सकता है। गुस्से में व्यक्ति हत्या एवं आत्महत्या कर लेता है। वर्तमान की भोगवादी एवं स्वार्थवादी संस्कृति पर अंकुश बहुत जरूरी है।
यात्रा प्रभारी वरिष्ठ श्रावक जेठमल मरोठी ने बताया कि – जैन धर्म के इतिहास में मणिपुर में जैन संतों का प्रथम बार आगमन है। जैन संत भारत भर में पद विहार के माध्यम से जन परोपकारी प्रेरणा प्रदान करते है। यात्रा प्रभारी प्रदीप सुराणा ने जैन साधु चर्या का परिचय दिया। यात्रा में जीवराज मरोठी, मूलचंद बैद,बुधमल बैद का विशेष सहयोग रहा। सिलचर श्रावक समाज,पयलापुर, फूलेरतल, लखीपुर श्रावक समाज की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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