भुवनेश्वर: समाजवादी पार्टी ने ओआरसी में 78 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का मुद्दा दोहराया है। समाजवादी पार्टी के ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष शिव हती यादव ने इस मुद्दे को उठाया है और कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि ओडिशा एक बिजली अधिशेष राज्य है। इसलिए, राज्य के लोगों को सस्ती कीमतों पर निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ओडिशा विद्युत नियामक आयोग (ओआरईसी) का गठन किया गया। कई वर्षों के बाद भी, आयोग उपभोक्ताओं के विश्वासभाजन नहीं बन पाया है। सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की बात तो दूर, आयोग हर साल कीमतें बढ़ाकर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रहा है। हाल ही में आई सीएजी रिपोर्ट ने भी आयोग की वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि ओआईआर फंड भी सरकारी खातों के बजाय बैंक खातों में जमा किया जा रहा था। नियमों के अनुसार, राज्य सरकार को प्राप्त अन्य सभी सरकारी धनराशियां सरकारी खाते में जमा की जाती हैं। ओ.आर.सी. का गठन विद्युत अधिनियम, 2003 के अंतर्गत किया गया था। इस कानून में ओ.आर.सी. कोष की स्थापना का प्रावधान किया गया था, जिसमें आयोग की आय जमा की जाएगी और जिसमें से धन खर्च किया जाएगा। ओडिशा सरकार द्वारा लागू ओ.आर.सी. फंड नियमों के अनुसार, ओ.आर.सी. को ऐसे फंड रखने तथा उनसे व्यय करने के लिए बैंक खाता खोलने की अनुमति दी गई थी। उपरोक्त नियमों के अनुसार धनराशि सरकारी बैंक खाते में रखी जानी चाहिए, लेकिन मार्च 2024 तक 78 करोड़ रुपये राज्य के सरकारी खाते के बजाय बैंक खाते में रखे गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे न केवल संवैधानिक आदेश का उल्लंघन हुआ, बल्कि सार्वजनिक खाता शेष में 78 करोड़ रुपये की कमी आई, जिससे राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण में मदद मिल सकती थी। समाजवादी पार्टी ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष शिव हाती यादव ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य बात है कि केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का पैसा भारत सरकार के सार्वजनिक खाते में जमा होता है, लेकिन ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने इतना पैसा सरकारी खाते में क्यों नहीं जमा किया है, यह जांच का विषय है।