साहित्य अकादेमी द्वारा अपने पूर्व अध्यक्ष, महत्तर सदस्य एवं ओड़िया के प्रख्यात कवि रमाकांत रथ के निधन पर शोक व्यक्त

कल दोपहर के बाद सभी कार्यालय उनके सम्मान में रहेंगे बंद

नई दिल्ली (रजत वंशल): साहित्य अकादेमी ने अपने महत्तर सदस्य, पूर्व अध्यक्ष एवं ओड़िया के प्रख्यात कवि रमाकांत रथ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में साहित्य अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने कहा कि “यह जानकर दुख हुआ कि प्रतिष्ठित ओडिया कवि, विद्वान और साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष श्री रमाकांत रथ अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी कविताओं ने अनगिनत पाठकों को गहराई से आत्मनिरीक्षण करने, जीवन, मृत्यु और भौतिक दुनिया से परे के जीवन अस्तित्व के बारे में जानने के साथ ही उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों को फिर से खोजन में सक्षम बनाया। “श्री राधा” और “सप्तम ऋतु” जैसी उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हमेशा हमारे साथ रहेंगी और पाठकों को आत्म-खोज की उनकी यात्रा में मदद करती रहेंगी। “

रमाकांत रथ ओड़िया कविता में विशिष्ट स्थान रखते थे, जो अपने आधुनिकतावादी और दार्शनिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके प्रशंसित कविता संग्रहों में केते दिनारा (1962), संदिग्ध मृगया (1971), सप्तम ऋतु (1977), सचित्रा अंधारा (1982), श्री राधा (1985) और श्रेष्ठ कविता (1992) शामिल हैं। उनकी महान कृति, श्री राधा ने उन्हें 1992 में प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान दिलाया। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कई साहित्यिक पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता, रथ को 1977 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 1984 में सरला पुरस्कार, 1990 में बिशुवा सम्मान और 2009 में साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया गया। साहित्य में अपने योगदान के अलावा, रथ ने ओडिशा राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विभिन्न विभागों में सचिव और ओडिशा के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया। साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में, उन्हें 2006 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादेमी कल अपने सभी कार्यालयों में शोक सभा कर दोपहर के बाद उनके सम्मान में अपने सभी कार्यालय बंद रखेगी।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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