फल की इच्छा के बिना करें भगवान की भक्ति -मुनि प्रशांत
माथाभांगा (वर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमार जी मुनिश्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक मनाया गया। सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – भगवान पार्श्वनाथ का नाम विश्व विख्यात है। प्रभु का दूसरा नाम पुरुषादानीय बहु प्रचलित है क्योंकि उनका व्यक्तित्व उस समय में भी बहुत लोकप्रिय था। हमें निष्काम भाव से तीर्थंकरों की भक्ति करनी चाहिए। बिना किसी फल की इच्छा से भगवान का स्मरण करने से निर्जरा होने के साथ पुण्य की भी सहज प्राप्ति हो जाती है। वीतराग प्रभु का जीवन दर्शन, स्मरण संकटों को दूर करता है। गृहस्थ जीवन से भव-भव की अंतिम यात्रा तक प्रभु पार्श्वनाथ ने समता की साधना कर समत्व का जीवंत संदेश दिया। महापुरुषों के जीवन प्रसंग जन जन के लिए कल्याणकारी है।कमठ के जीव के साथ दस भव पूर्व प्रभु का सम्बन्ध था।वैर के अनुबंध के कारण कमठ के जीव ने विभिन्न भव में विभिन्न प्रकार से भगवान पार्श्वनाथ की आत्मा को कष्ट दिए। प्रत्येक कष्ट को समत्व से सहन कर दसवें भव में प्रभु पार्श्वनाथ मुक्ति को प्राप्त हुए। कल्याण मंदिर,उवसग्गहर स्तोत्र में उनकी स्तुति है जिसे श्रद्धालु श्रावक समाज श्रद्धा स्मरण करते है। धरणेन्द्र एवं पद्मावती दोनों ही देवपुरुष का प्रभु पार्श्वनाथ के प्रतिभक्तिभाव अनुकरणीय , वंदनीय है। उपकारी का उपकार कैसे चुकाया जाता है उसका उदाहरण है धरणेन्द्र पद्मावती। अपने जीवन को गुणों से सम्पन्न बना कर ही महापुरुषों को भावांजलि अर्पित कर सकते है।

मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा – तीर्थंकर का च्यवन से लेकर मोक्ष तक का सफर पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी होता है।नरक के जीवों को च्यवन, जन्म, दीक्षा,केवलज्ञान एवं मोक्ष प्राप्ति के समय क्षणिक सुख शांति का अनुभव होता है इसलिए इन्हें कल्याणक कहा जाता है। राजकुमार पार्श्वनाथ का नाग नागिन को अंतिम समय में नवकार महामंत्र सुनाने का यह प्रसंग नवकार महामंत्र की महत्ता को बताता है। पूर्ण श्रद्धा आस्था के साथ जप का प्रयोग करने से यथोचित फल अवश्य मिलता है। व्यक्ति प्रतिदिन मंगलमय भावों से अपने आप को भावित करता जाएं। भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याणक के अवसर पर नवकार महामंत्र को जीवन साथी,राग द्वेष से हल्कापन एवं उपकारी का उपकार भूलना नहीं का मनोभाव रखें तभी इस दिन की सार्थकता होगी।
महासभा प्रभारी राजकुमार बोथरा, माथाभांगा सभा अध्यक्ष बाबूलाल भादाणी ने विचार व्यक्त किए। भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति एवं जप का सामूहिक संगान किया गया।

