Spice Price Hike: खाद्य सेक्शन में बढ़ती महंगाई केंद्र सरकार के लिए बड़ी चिंता की वजह बनी हुई है. वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी मुद्रास्फीति में आयी कमी को लेकर कहा है कि तत्काल महंगाई में कमी आने को लेकर बैंक खुश नहीं है. इधर, सरकार के द्वारा भी महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी कई कदम उठाये जा रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी, मसालों के दाम रोज बढ़ते जा रहे हैं. लहसुन बुनियादी वस्तुओं की महंगाई का ताजा शिकार बन गया है. पिछले कुछ दिनों में कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं. कुछ क्षेत्रों में लहसुन की दरें 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं. जो आपूर्ति में कमी के कारण काफी अधिक है. इसके साथ ही, जीरा और धनीया की कीमतों में भी तेजी देखने को मिली है. वायदा कारोबार में सोमवार को धनिया की कीमत 124 रुपये की तेजी के साथ 7,234 रुपये प्रति क्विंटल हो गई. एनसीडीईएक्स में धनिया के दिसंबर महीने में आपूर्ति वाले अनुबंध की कीमत 124 रुपये या 1.71 प्रतिशत की तेजी के साथ 7,234 रुपये प्रति क्विंटल हो गई. इसमें 7,205 लॉट के लिए कारोबार हुआ. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि हाजिर बाजार में मजबूती के रुख और उत्पादक क्षेत्रों से सीमित आपूर्ति होने के कारण मुख्यत: धनिया वायदा कीमतों में तेजी आई है.
दोगुनी हो गयी लहसुन की कीमत
लहसुन जो पूरे भारत में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले मसालों में से एक है, कुछ ही दिनों में इसकी कीमत दोगुनी हो गई है. अब कुछ खुदरा बाजारों में यह ₹300 से ₹400 प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है. साल के अंत तक कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लहसुन की थोक कीमतों में भी बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है, जो थोक बाजारों में ₹130-140 पर बेचा जा रहा है. इस बीच थोक में उच्च गुणवत्ता वाला लहसुन 220-250 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.
लहसुन के दाम दोगुने क्यों हो गए?
प्याज के बाद, लहसुन एक ऐसा मसाला है जिसकी कीमत एक सप्ताह से भी कम समय में दोगुनी हो गई है. ऊंची कीमतों के पीछे का कारण देश भर में लहसुन की घटती आपूर्ति है, क्योंकि अत्यधिक मौसम की स्थिति के कारण फसल खराब हो गई थी. भारत के कुछ हिस्सों में चक्रवात मिचौंग के कारण हुई बेमौसम बारिश के कारण बड़ी मात्रा में लहसुन की फसल नष्ट हो गई. इससे बाजार में मसालों की भारी कमी हो गई है, जिससे कीमतें दोगुनी हो गई हैं. उम्मीद है कि नई उपज बाजार में आने तक, जो महीने के अंत तक हो सकती है, देश भर में कीमतें बढ़ती रहेंगी. आमतौर पर, सर्दियों के मौसम में कम पैदावार और आपूर्ति के कारण लहसुन की कीमतें बढ़ जाती हैं. थोक बाजारों में ऊंची कीमतों और कम आपूर्ति के कारण प्याज की आपूर्ति में कमी के बाद लहसुन की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. केंद्र द्वारा कीमतें कम करने के लिए कई कदम उठाने के बावजूद, दरें खुदरा में ₹300-400 और थोक में लगभग ₹200 पर स्थिर रहीं. आवश्यक फलों और सब्जियों की कीमतों में अचानक वृद्धि के पीछे का कारण भारत के कुछ हिस्सों में मौसम की स्थिति है, जिसके कारण फसल की पैदावार कम हो गई है.
सरकार ने प्याज और गन्ने के रस पर लगाया प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर 31 मार्च तक के लिए रोक लगा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्याज के निर्यात की नीति को 31 मार्च, 2024 तक मुक्त से प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया गया है. इसके साथ ही, चीनी मिलों और भट्टियों को 2023-24 के लिए इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस या सिरप का उपयोग करने से रोक दिया है. हालांकि, खाद्य मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि बी-हेवी शीरे से तेल विपणन कंपनियों को एथनॉल की आपूर्ति जारी रहेगी. खाद्य मंत्रालय ने पत्र में कहा कि चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 के खंड 4 और 5 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को निर्देश दिया जाता है कि वे तत्काल प्रभाव से ईएसवाई (एथनॉल आपूर्ति वर्ष) 2023-24 में एथनॉल के लिए गन्ने के रस/चीनी के रस का उपयोग न करें.