आचार्य तुलसी का 110 वाँ जन्मदिवस अणुव्रत दिवस का आयोजन

स्वस्थ समाज के कल्पनाकार थे आचार्य श्री तुलसी -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य मे आचार्य श्री तुलसी का 110 वाँ जन्मदिवस का अणुव्रत दिवस के रुप में आयोजन हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा तेरपंथ धर्मसंघ अपने आप मे सौभाग्यशाली संघ है। इस संघ के प्रत्येक आचार्यो ने साधना एवं परिश्रम से सिंचन किया, विकसित करके गतिशीलता प्रदान की। आचार्य तुलसी ने धर्मसंघ का बहुत विकास किया । कितने कितने अवदानों से मानव जाति का विकास किया। उन्होंने संघ मे शिक्षा और साधना का ध्यान दिया। साधु-साध्वी की प्रवचन कला, संगीत कला, लेखन कला की ओर सलक्ष्य प्रयास करते गए। गण में सैकड़ो साधु-साध्वियों को साहित्यकार बना दिया। श्रावक-श्राविकाओं को अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान के कार्य में लगाकर प्रोत्साहन के द्वारा संघ में सेकड़ो श्रावक कार्यकर्ता को तैयार किया। प्रेरणा, प्रगति एवं पुरुषार्थ के द्वारा समाज एवं राष्ट्र में विकास के रास्ते खोल दिए । जीने का यही विज्ञान की जहां भी रहे किसी के साथ रहे तो मिठास एवं मिलनसारिता से रहे। देश-विदेशों तक अहिंसा, अनेकांत, अणुव्रत एवं प्रेक्षाध्यान को जनव्यापक बनाया। देश का नवनिर्माण करने के लिए चरित्रबल पर जोर दिया। देश की युवा शक्ति समाज निर्माण कि दिशा मे कार्य करें। सामाजिक, पारिवारिक एवं राष्ट्र की समस्या का समाधान साहित्य के द्वारा दिया। गुरुदेव श्री तुलसी का बहुआयामी जीवन के प्रति यही भावांजली है की उनके संदेश को जीवन मे अपनाने मनोभाव रखें। धर्मस्थल में धार्मिक साधना करते रहे जिससे पवित्र भावना से आभामण्डल विशुद्ध बनता रहें।

मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा-आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीवनकाल में मानवजाति के उत्थान के अनेकों कार्य किए। अणुव्रत के माध्यम से जन मानस को मानवता का संदेश दिया। वे केवल उपदेश देते ही नहीं थे अपितु उसे आत्मसात् भी करते थे। निज पर शासन फिर अनुशासन का नारा देकर व्यक्ति को भीतर से जागृत किया। स्वयं जागरुकता के साथ साधना करते एवं अप्रमता का जीवन जीने की सीख देते। विभिन्न प्रशिक्षण के द्वारा कुछ करने की बनने की प्रेरणा दी। प्रत्येक दृष्टिकोण से सक्षम होते हुए अपने पद का विसर्जन कर पदलोलुपीयों को जीवंत प्रेरणा प्रदान की। जीवन में आध्यात्मिता की भावना से आनन्द की प्राप्ति होती है। धार्मिकता के बिना जीवन को कोई सार्थकता नहीं होती है।

सभा अध्यक्ष रुपचंद कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष नरेश धाडेवा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती संगीता घोषल, अणुव्रत समिति निवर्तमान अध्यक्षा श्रीमती पुष्पा चिंडालिया,टीपीएफ उपाध्यक्ष महावीर बैद ने भाषण के द्वारा अभिव्यक्ति दी। आभार सभा मंत्री मदन संचेती ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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