ये तो हम सबको मालूम है कि खाना पकाने के लिए तेल जरूरी है. दरअसल डेली रूटीन में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट के अधिक सेवन से हृदय रोग, मोटापा और सूजन सहित हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती है.
पाम और नारियल तेल में सैचुरेटेड फैट अधिक होता है जबकि कॉर्न और सोयाबीन तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड . गुड ऑयल की बात करें तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए ओलिव ऑयल, फ्लैक्ससीड्स ऑयल, अवोकेडो ऑयल, वालनट ऑयल और सीसम ऑयल फायदेमंद होता है
खाना पकाने वाला तेल डाइटरी फैट का हिस्सा है जो शरीर के लिए जरूरी है लेकिन तेल भी कई प्रकार के होते हैं जिसके लाभ और नुकसान होते हैं.रोजाना इस्तेमाल होने वाले कुछ तरह के तेल में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट होता है जो बॉडी के लिए सही नहीं होता इसके अधिक सेवन से हृदय रोग, मोटापा और सूजन जैसी हेल्थ समस्याएं होती हें
कोकोनट ऑयल या नारियल तेल में जैसा कि हम जानते हैं सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है दरअसल इसमें मीडियम सीरीज ट्राइग्लिसराइड्स (एमसीटी) होता है जिसके कुछ स्वास्थ्य लाभ हो सकते है. इसके अधिक सेवहन से यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा सकता है और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ाता है.
कॉर्न ऑयल या मक्के का तेल , इसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड अधिक होता है जिसकी अधिक मात्रा में सेवन करने पर शरीर में सूजन को बढ़ावा दे सकता है. जबकि ओमेगा-6 फैटी एसिड स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है इसके अधिक सेवन से सूजन और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
कॉर्न ऑयल की तरह, सोयाबीन तेल में भी ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है और अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह सूजन को बढ़ावा दे सकता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड के सेवन को संतुलित करना जरूरी है।
वेजिटेबल ऑयल में सोयाबीन, कॉर्न और सनफ्लावर मिक्स होता है इन तेलों में अक्सर ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है जिसे अधिक सेवन से सूजन समस्या बढ़ सकती है.
कई लोगों की फेवरेट सनफ्लावर ऑयल में भी ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है.जबकि सैचुरेटेड फैट कम होता है. लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि ओमेगा-6 का अधिक सेवन सूजन को बढ़ावा दे सकता है.
ये तो हो गई तेल के हेल्थ पर असर की बात, तो अब सवाल है कि तब सेहत के लिए लाभप्रद तेल कौन से हैं तो इसमें आप ओलिव ऑयल, फ्लैक्ससीड्स ऑयल, अवोकेडो ऑयल, वालनट ऑयल, सीसम ऑयल का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हें।