सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ने तपाभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए कहा – जप तप धर्म का कठिन मार्ग है लेकिन मंजिल तक पहुंचाता है। जिसके कर्म हल्का होता है वहीं व्यक्ति धर्म पथ पर,तप पथ पर आगे बढ़ता है। जिसके कर्म हल्के हो वो अपने आप ही सहज ही अच्छाई के मार्ग पर बढ़ जाता है। चातुर्मास में अनेकों लोगों ने तपस्या की है। विभिन्न तप के द्वारा कर्म निर्जरा के साथ-साथ संघ प्रभावना में भी योगभूत बने हैं। नवरात्रि में अतुल ने अट्ठाई तप किया है। गोयल परिवार से इस चातुर्मास में चौथी तपस्या हुई है। धार्मिक, सेवाभावी परिवार है। सोहनलाल जी सेठिया के पूरे परिवार की भावना थी कि चातुर्मास सिलीगुड़ी में हो, गुरुदेव की कृपा से इनकी भावना पूर्ण हुई है। नवीन सेठिया ने नौ की तपस्या कर मुनिवृंद को एक अच्छी भेंट दी है। मनीषा, हर्षा डागा मां -बेटी ने जोड़े से तपस्या की है। हर्षा ने परिवार में हर्ष फैलाया है, नाम को सार्थक किया है। मनीषा धार्मिक वृत्ति वाली है।गीत बनाने एवं गाने में माहिर है। छोटी लड़की भी बहुत अच्छा गाती है।उदासर का महनोत परिवार भी बहुत धार्मिक है। जिसमें धर्म की भावना होती है वो धर्म का लाभ लें पाता है। धार्मिक संस्कारों से भावित परिवार आगे बढ़ता है। परिवार के बड़े सदस्य पीछे की पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का लक्ष्य रखें। गुरुदेव की कृपा से तपस्या – साधना का क्रम अच्छा रहा।
साधु जीवन में तप करने से शुभ योग का भी संवरण हो जाता है। पिछले चार साल से नवरात्रि में साधना का क्रम चल रहा है। तपस्या करना मूल लक्ष्य नहीं था।मूल लक्ष्य था आत्म आराधना करना। गुरुदेव के प्रताप से कोई दिक्कत नही आई। अरिहंत देव की ऊर्जा एवं गुरु की शक्ति मिलती रही।सहज में ही अधिकांश समय का उपयोग साधना में हो गया। कुमुद मुनि जी का सदैव बहुत सहयोग रहा है। इनके सहयोग से साधना में अतिरिक्त समय का उपयोग कर लिया। तपस्या प्रारंभ से पहले एवं तप सम्पन्नता के पश्चात् भोजन विवेक एवं संयम अपेक्षित है तभी तपस्या निर्विघ्न रूप से सम्पन्न होती है।तप जप ध्यान साधना करनी ही चाहिए।
मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा – चातुर्मास का समय विशेष धर्मोपासना में व्यतीत होता है।साधु- साध्वी आत्मकल्याण के साथ साथ परकल्याण का कार्य करते हैं। जिनशासन एवं तेरापंथ संघ में हजारों – हजारों साधु-साध्वी, श्रावक – श्राविका ने साधना कर आत्मकल्याण किया है। मुनिश्री प्रशांत कुमार जी लगभग पैंतालीस वर्ष से आत्माराधना करते हुए श्रावक समाज को धार्मिक प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। लेखक,वक्ता, होने से अधिक धीर गंभीर साधक संत है। तीन तीन गुरुओं की कृपा को प्राप्त किया है। इनकी साधना को प्रणाम करता हूॅं।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष रुपचंद कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष नरेश धाडेवा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष डिम्पल बोथरा,तेरापंथ महिला मंडल, विनीत डागा, लीला बोथरा,शुभकरण बोथरा, डागा परिवार की बहनों ने गीत एवं व्यक्तव्य के द्वारा प्रस्तुति दी।झंवरलाल रामपुरिया की मंगलभावना सुशील गंग एवं कोमल महनोत की मंगलभावना प्रवीणा बंसल ने व्यक्त की। मुनि श्री ज्ञानेंद्र कुमार जी के संदेश का वाचन मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने किया।