नई दिल्ली: कोरोना महामारी से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि स्वास्थ्य देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा कि सरकार को सस्ते इलाज के लिए व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि कोरोना के चलते लोगों को आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। और राज्यों और केंद्र को मिलकर काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को सख्ती से कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने का भी निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगातार आठ महीने से काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी थक गए हैं, उन्हें आराम देने के लिए किसी व्यवस्था की जरूरत है। साथ ही राज्यों को सतर्कतापूर्वक कार्रवाई करनी चाहिए और केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मिलकर काम करना चाहिए। नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर कहा कि दिशानिर्देशों और एसओपी के लागू नहीं होने से कोविड महामारी जंगल की आग की तरह फैल रही है। इससे दुनियाभर में हर कोई किसी ना किसी तरीके से प्रभावित हो रहा है। ये एक तरह का युद्ध है।
सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन को लेकर भी शुक्रवार को टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि लॉकडाउन जैसे फैसले अचनाक लेना ठीक नहीं है। लॉकडाउन जैसा फैसला लिए जाने के बारे में पहले से लोगों को बताया जाना चाहिए ताकि लोग अपनी आजीविका के लिए कुछ व्यवस्था कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ-साथ सभी राज्यों को चार सप्ताह के भीतर कोरोना अस्पतालों में आग से सुरक्षा संबंधित ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें अस्पतालों में फायर सिक्योरिटी के तय मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। साथ ही सभी कोविड अस्पतालों को चार हफ्ते के भीतर फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेने का भी निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।