तेयुप द्वारा मंत्र दीक्षा का आयोजन

सदैव चिंतन करें मुझे वीतराग बनना है -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में एवं तेरापंथ युवक परिषद सिलीगुड़ी के आयोजन में मंत्र दीक्षा आयोजित हुई । कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- प्रातः उठते ही नवकार मंत्र का जप करना चाहिए उसे अपना जीवन साथी बना लेना चाहिए । यह मंत्र नही अपितु शक्तिशाली महामंत्र है । चार गति संसार एवं मोक्ष को जानने का सटीक तरीका है । चार गति में से मनुष्य गति ही हमारे जीवन को सार्थक बनाती है । अगर उस गति के जीवन में अध्यात्म जुड़ जाए तो जीवन सफल हो जाता है। जीवन को अच्छा बनाने के लिए सद्‌गुणों का विकास होना जरूरी है ।


आठ कर्मों के कारण ही हम संसार में घूम रहे हैं । आठों ही कर्म को सीखने के साथ किस कारण से किस कर्म का बंधन होता है ये जानकर कर्म बंधन से बचना चाहिए | जीवन में गुण एवं अवगुण दोनो आ सकते है कौन सा संस्कार हमे ग्रहण करना है ये चिंतन करना चाहिए | हमारे जीवन निर्माण में मित्र का भी महत्व रहता है । गलत मित्र का साथ हमारे जीवन को गलत पथ पर ले जाता है । पाप कर्म से जितना बचने का मनोभाव होगा उतना ही हमारा जीवन व्यवहार अच्छा बनेगा । मंत्र दीक्षा स्वीकार करने वाले ज्ञानार्थी वीतराग बनने का चिंतन करते रहें । श्रावक जीवन से आगे साधु जीवन में प्रवेश कर सिद्ध गति मोक्ष को प्राप्त करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए । मनुष्य एवं देव गति से अधिक सुख, मोक्ष गति में होता है । प्रतिदिन त्याग करते रहें जिससे आसक्ति का भाव कम हो । सभी मन में ये भाव रखे कि मुझे आत्मकल्याण करना है । पापकर्म से बचने के लिए साधु बनाना है।

मुनिकुमुद कुमार जी ने कहा- हमारे जीवन में संस्कार का बहुत महत्व है जितना श्वास का महत्व होता है । बिना संस्कार के जीवन भारभूत बन जाता है । संस्कारी बच्चे भविष्य को सुखद बना देते है । ज्ञानशाला जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है । ज्ञानशाला का ज्ञानार्थी ज्ञान अर्जन के साथ संयमी जीवन को समझने का प्रयास करे । ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी अपने जीवन को इतना सुसंस्कारी बनाएं कि स्वयं का , परिवार का एवं धर्मसंघ का गौरव बढ़ जाए। मुझे वीतराग बनना है ये संकल्प प्रतिदिन दोनों समय तीन बार उच्चारण करना चाहिए। वीतराग की यात्रा साधु से प्रारम्भ होकर सिद्ध तक जाकर सम्पन्न होती है ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुनिश्री के मंगलमंत्रोच्चार से हुआ ।तेरापंथ युवक परिषद् ने विजयगीत का संगान किया।
पंजाबी पाडा एवं तेरापंथ भवन के ज्ञानार्थी ने प्रस्तुति दी। प्रितम बोकडिया ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया । आभार ज्ञापन प्रशांत छाजेड ने किया । कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने किया ।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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