असाम्प्रदायिक धर्म के प्रवक्ता थे आचार्य तुलसी
-मुनि रमेश कुमार
श्रीभूमि असम (बर्धमान जैन): धर्म जीवन जीने की कला सिखाता है। धर्म केवल पूजा-पाठ या उपासना की पद्धति ही नहीं है बल्कि यह जीवन के आचरण और व्यवहार से जुडे वह धर्म होता है। धर्म के व्यापक स्वरुप को ध्यान में रखकर ही आचार्य तुलसी ने अहिंसा, सद्भावना, नैतिक आचरण, परोपकार जैसे सार्वभौम धर्म का अणुव्रत आन्दोलन के माध्यम से देश और दुनिया को संदेश दिया। आचार्य तुलसी ने धर्म को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की चारदीवारी से बाहर निकाल सार्वभौमिक धर्म नैतिक आचर संहिता के रुप में धर्म को स्थापित किया। इसीलिए आचार्य तुलसी को असाम्प्रदायिक धर्म के प्रवक्ता माने जाते है। उपरोक्त विचार मुनि रमेश कुमार जी ने तेरापंथी सभा श्रीभूमि के तत्वावधान में आयोजित “आचार्य तुलसी दीक्षा शताब्दी” पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।

इससे पूर्व मुनि रमेश कुमार जी ने नमस्कार महिमंत्रोचार से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुनि रत्न कुमार जी ने अपने संयोजकिय वक्तव्य में आचार्य श्री तुलसी के वक्तित्व के बारे में बताया। तेरापंथ महिला की अध्यक्षा श्रीमती हेमलता लालाणी ने तुलसी अष्टकम् से मंगलाचरण किया।

महिला मण्डल गीतिका जैन उपासना भवन के अध्यक्ष विनोद जी गंग समाज की ओर से अतिथियो का स्वागत किया। तेरापंथ सभा के मंत्री विवेक लालाणी ने अतिथियों का परिचय दिया। समाज की ओर से सम्मान किया। करण नाहाटा,शांति लाल जी लालाणी, शांति देवी लालाणी, सूरज देवी पुगलिया, पूर्वोत्तर भारत स्तरीय श्री जै.श्वे.ते. सभा अध्यक्ष बजरंग जी सुराणा , महामंत्री जीवन जी सुराणा, आदि अनेक वक्ताओं ने आचार्य तुलसी के अवदानों पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा नौगांव के अध्यक्ष विनोद जी बोथरा ने मुनिश्री को नौगांव पधारने के लिए निवेदन करते हुए एक बडा प्रोग्राम कराने का भावभरा निवेदन भी किया।

