इस बार चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा,
इस बार मां काली, हनुमान जी और यम देव की पूजा के लिए 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली मनाया जााएगा.नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण के नरकासुर का वध किया था. इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करें
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है, इस बार अभ्यंग स्नान का समय 12 नवंबर को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है.
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीया जलाने की परंपरा है, इस दिन सूर्यास्त के पश्चात 05 बजकर 27 मिनट से पूर्व यमराज जी के नाम कुल 14 दीपक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके प्रज्वलित किया जाता है, इस दिन दीप प्रज्वलित कर हाथ जोड़कर यम देव से अपने और अपने परिजनों की दीर्घायु और अच्छी सेहत के लिए कामना किया जाता है.
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह के समय यानि सूर्योदय से पहले तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियों को जल में डालकर स्नान चाहिए. नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां कालिका की पूजा से संकटों से मुक्ति मिलती है.
मान्यता है कि ऐसा करने से सिर्फ अलौकिक सौंदर्य और रूप की ही नही प्राप्ति होती हैं, इससे स्वास्थ्य की सारी परेशानियां भी दूर हो जाती है.परंपरा के अनुसार चतुर्दशी के दिन लक्ष्मी जी सरसों के तेल में निवास करती हैं इसलिए इस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है. उबटन लगाने के बाद गुनगुने पानी से स्नान कर श्रृंगार करने का भी महत्व है.
नरक चतुर्दशी के दिन : इस दिन तिल के तेल का दान भूलकर भी न करें. इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं .दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी के दिन संध्या के पश्चात दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं. हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिसे करके आप अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा पा सकते हैं.