रिजर्व पुलिस के जवानों को उद्बोधन
झारसुगुड़ा (वर्धमान जैन): झारसुगुड़ा स्थित उडीसा रिज़र्व पुलिस के मुख्यालय में मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी, मुनि श्री कुमुद्र कुमार जी का विशेष उद्बोधन हुआ। रिजर्व पुलिस के जवानों को संबोधित करते हुवे मुनि श्री प्रशान्त कुमार ने कहा- पुलिस और संत जन इन दोनों का कार्य एक दृष्टि से समान है। पुलिस के जवान अशान्त माहौल को शान्त करने का प्रयास करते हैं और अपराधियों को सुधारने का कार्य भी करते हैं। संत जन भी समाज में, देश में शान्ति बनाए रखने का प्रयास करते हैं। शान्ति पूर्ण ढंग से जीने और दूसरों को शान्ति से जीने देने की ही प्रेरणा लोगों को देते हैं। दोनों की कार्य शैली में अन्तर होता है। पुलिस डंडे के बल पर यह कार्य करती है और संत लोग सद्प्रेरणा देकर लोगों का हृदय परिवर्तन करते हैं। सच्चे दिल से व्यक्ति अपने को बदलता है तो एक स्थायी परिवर्तन आता है। अनेकानेक अपराधियों और बुरी आदतों से ग्रस्त लोगों के जीवन में भी संतों की संगति और सद्प्रेरणा से बड़ा परिवर्तन आया है। मुनि श्री ने कहा कि पुलिस के जवान स्वयं को तनाव मुक्त रखने का प्रयास करें। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुवे भी मन को निर्भार और प्रसन्न रखे। परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल, सभी स्थितियों में मन हमेशा प्रसन्न रहे। मन प्रसन्न रहेगा और उत्साह का भाव रहेगा तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं लगेगा। कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, आदमी के विचार ही उसे छोटा या बड़ा बना देते हैं। अपने सिद्धान्तों और आदर्शो पर भी व्यक्ति को कायम रहना चाहिए। सही रास्ते से अटकाने वाले, विचलित करने वाले बहुत होते हैं। लेकिन ऐसे वातावरण में रहकर भी जो अपनी सही राह को नहीं छोड़ता और दृढ़ता से आगे बढ़ता है वह बड़ी सफलता को हासिल कर लेता है।
मुनि श्री कुमुद कुमार ने कहा – मनुष्य में असीम क्षमताएं होती है। वह अपनी शक्तियों को सही कार्यों में लगाए तो बहुत कुछ कर सकता है और विकास के शिखरों पर पहुंच सकता है। किसी भी कार्य को अपना कार्य मानकर करेंगे तो वह भार नहीं लगेगा। अपने कर्तव्य को पूजा मानकर पूरा करें और सच्चे मन से खुशी से करेंगे तो कार्य अच्छा होगा और उसका परिणाम भी सुन्दर रहेगा।
मुनिश्री ने स्ट्रेस मैनेजमेन्ट के लिए ध्यान के और संकल्पों के अनेक प्रयोग भी पुलिस जवानों को करवाएं। प्रवचन के पश्चात प्रश्नोत्तर का कार्यक्रम चला।
S.P. राहुल जैन ने संतों का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर झारसुगुड़ा, कांटाबांजी के अनेक श्रावक श्राविकाएं भी उपस्थित रहे।