प्रभु पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक का आयोजन

वैरभाव से जन्मो तक भटकती रहती है आत्मा -मुनि प्रशांत

बड़बहाल (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा कांटाबांजी के आयोजन में भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक का आयोजन हुआ । जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- भगवान पार्श्वनाथ ने चातुर्याम धर्म का प्रवर्तन किया था। वे अपने आप में अतिविशिष्ट लोकप्रिय तीर्थकर के नाम से प्रसिद्ध हुए इसलिए आगम सूत्रों में उनके लिए पुरु‌षादानीय शब्द का प्रयोग होता है । सभी के प्रिय इस शब्द में उनका महत्व अपने आप उद्‌घाटित होता है । वे महान पुरुष थे । सभी तीर्थंकरो की शक्ति बराबर होती हैं । तीर्थंकरो की सेवा में देवी – देवता हर समय रहते हैं । हमे तीर्थंकरो की सेवा भक्ति करनी चाहिए | उनके जाप से श्लोक,गीत,स्तुति एवं श्रद्धा भावना से हमारे कर्म का क्षय होता है । महापुरुषो का जीवन दर्शन हमे प्रेरणा देता है । वैर – भाव हमे किसी के साथ नहीं रखना चाहिए । सबसे खमतखामणा कर लेना चाहिए । द्वेष – वैर से आत्मा जन्मो तक भटकती रहती है । वैर से वैर बढ़ता है । सरल मन , सरल भाव से आत्मा सरल बनती है । सरल आत्मा ही धार्मिक जीवन की पहचान है, उससे ही कर्म हल्के होते हैं । भगवान पार्श्वनाथ ने सर्व जीवों से वैर – राग को दूर कर अपनी आत्मा का कल्याण किया । उनके नाम के संकडो मंत्र प्रचलन मे है । उन मंत्रो का जाप करने से आत्मा की विशुद्धि होती है ।

 

भावो मे वीतरागता का प्रभाव आता है। महापुरुषो का उपदेश जगत के कल्याण के लिये होता है। उनकी साधना आत्मकल्याण के लिये होती हैं एवं पर कल्याण के लिये तपस्या, संयम,साधना एवं अहिंसा इत्यादि तत्वो की सीख देशना के माध्यम से देते है। आज उनके जन्म कल्याणक के अवसर पर हम सभी आत्मसाधना एवं कर्मनिर्जरा करने के मनोभाव का संकल्प करें।

मुनि कुमुद्‌ कुमार जी ने कहा- भगवान पार्श्वनाथ का वर्तमान समय मे जनमानस मे चमत्कारी महापुरूष के रूप में प्रसिद्धि हैं । तीर्थकर स्वयं वीतराग होते हैं, ना किसी के प्रति राग ना द्वेष का भाव रहता है । वे स्वयं संसार सागर से तिरते है एवं संसार चक्र से पार होने का रास्ता बताते है। उनके जीवन की प्रसिद्ध घटना मिलती है नाग – नागिन के जोडे को अंतिम अवस्था में नवकार मंत्र की। आज के दिन हम भी भगवान के प्रति भावांजलि अर्पित करे, नवकार मंत्र को अपना जीवनसाथी बनाकर | हर कार्य में, हर परिस्थिति में नवकार मंत्र हमारे साथ जुडा रहे । जप के साथ ध्यान का प्रयोग किया जाए तो, जप अधिक शक्तिशाली बन जाता है । व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में धर्म के प्रति भाव बढता रहे।

तेरापंथी सभा के संगठन मंत्री विवेक जैन ने बताया- कार्यक्रम का शुभारंभ राजगांगपुर महिलामण्डल के मंगलाचरण से हुआ। कांटाबांजी सभा पूर्व अध्यक्ष रायचंद जैन , तेयुप मंत्री गौरव जैन, राजगांगपुर से एकता कोठारी,राउरकेला सभा अध्यक्ष छगन लाल जैन ने विचारों की अभिव्यक्ति दी। राउरकेला महिलामण्डल ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन तेयुप कोषाध्यक्ष निखिल जैन ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन कांटाबांजी तेयुप अध्यक्ष अंकित जैन ने किया । कार्यक्रम में कांटाबांजी, झारसुगड़ा, राजगांगपुर एवं राउरकेला, हैदराबाद से श्रावक समाज उपस्थित रहा।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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