संयम प्राप्ति की कामना, भावना से होती आत्म शुद्धि -मुनि प्रशांत
कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में मुनि कुमुद कुमार जी की प्रेरणा, निर्देशन मार्गदर्शन से तेयुप एवं कन्या मण्डल द्वारा गजसुकुमाल एवं संस्कार नाटिका का आयोजन हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा-संस्कार एवं गजसुकुमार परिसंवाद की रोचक प्रस्तुति हुई। संस्कारों की आज के समय में नितान्त आवश्यकता है। संस्कारो के बिना प्राप्त ज्ञान भार बन जाता है। पदार्थवादी भौतिकतावादी युग में आधुनिकता की दौड में व्यक्ति संस्कारों से विमुख बनता जा रहा है। धार्मिक संस्कारों से सिंचित व्यक्ति जीवन में आत्मिक शांति को प्राप्त कर लेता है। जीवन जीने की कला के साथ मरण की कला भी सीख लेता है। जीवन जीना बडी बात नही अपितु चित समाधिमय जीवन जीना ही जीवन की सार्थकता है। धार्मिक संस्कार जीवन को सही रास्ते पर चलाना सीखाते है। नम्रता, शालीनता एवं शिष्टता के संस्कार परिवार का गौरव है। वर्तमान में फिल्मी संस्कृति बढती जा रही है। मन-मस्तिष्क में व्यक्ति हर समय उसी चिंतन में जीता है। टी.वी., मोबाइल, इंटरनेट की ओर कदम बढ़ते जा रहे हैं। जीवन में अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। आज संस्कारों की, संयम की भावना की नितान्त आवश्यकता है। आज के समय में व्यक्ति का चिंतन स्वार्थवादी अधिक बनता जा रहा है। गजसुकुमार का नाटक बहुत ही प्रेरक है। श्री कृष्ण के आध्यात्मि जीवन से बहुत प्रेरणा प्राप्त की जा सकती है। श्रीकृष्ण ने कितने-कितने लोगो को आत्मकल्याण के लिए प्रेरित किया। गजसुकुमार ने दीक्षा ली भयंकर कष्ट को सहन किया। समभाव, समता, कर्मनिर्जरा का उत्कृष्ट उदाहरण है। संयम जीवन की प्राप्ति हो ये मनोरथ हर श्रावक के मन मे रहना चाहिए। संयम प्राप्ति की भावना, कामना से ही आत्मशुद्धि होती है। नाटक से प्रेरणा प्राप्त कर संकल्प करे किसी की भी धार्मिक भावना में सहयोगी बनेगे अन्तराय देकर कर्म का बंधन नही करेंगे। जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में भी सत्पथ को नहीं छोडेंगे। मुनि कुमुद कुमार जी ने प्रेरणा देकर परिश्रम करके इतनी शानदार एवं रोचक प्रस्तुति तेयुप एवं कन्या मंडल द्वारा करवाई। तेरापंथ युवक परिषद में जोश एवं उमंग है। सक्रियता से आध्यात्मिक कार्य सदेव करते रहें।

मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- तेयुप द्वारा आयोजित नाटक को तेरापंथ युवक परिषद एवं कन्या मण्डल ने प्रस्तुत कर जीवंत संदेश दिया है। मनोरंजन करना नाटक का उद्देश्य नही अपितु व्यक्ति एवं परिवार में संस्कार पल्लिवत एवं पुष्पित बने । संयम, सादगी सभ्यता शालीनता, सहनशीलता, एवं सामंजस्य बनी रहें। आधुनिकता के नाम पर अपने मूलभूत आदर्श को विस्मृत न करे। प्रगति के साथ-साथ विवेक जागृत रहें। पैसा, पद, प्रतिष्ठा से अधिक जीवन का यर्थाथ मूल्य बना रहें। संस्कार के अभाव में शिक्षा, सुंदरता एवं सम्पति ‘बेकार हो जाते हैं। गजसुकुमाल का जीवन विरक्ति की सीख देता है। परिवार, सम्पति के मोह को छोड़कर संयम ग्रहण एवं कष्टो को समभाव से सहन करते-करते साधना के द्वारा मोक्ष प्राप्त करना गजसुकुमार की जीवन कहानी है। तेयुप एवं कन्या मण्डल ने अथक जागरूकता से भव्य प्रस्तुति दी सभी साधुवाद के पात्र है।

मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया- तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित गजसुकुमाल एवं संस्कार नाटक को तेयुप के सदस्यों एवं कन्या मण्डल की सदस्यों ने भव्य, शालीन एवं रोचक प्रस्तुति दी। विकास जैन ने गजसुकुमाल एवं पूजा जैन ने संस्कार नाटक का संचालन किया। प्रायोजक गौतम बेलपाडा एवं विकास जैन का मोमेंटो द्वारा सम्मान किया गया। गजसुकुमाल एवं संस्कार नाटक के पात्रों को प्रायोजक परिवार द्वारा सम्मानित किया गया। सुमीत जैन ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में उत्केला, सिंधिकेला, बेलपाडा एवं बगुमुंडा से श्रावक समाज उपस्थित रहा।

