नवरात्रि आध्यात्मिक अनुष्ठान

आत्मशक्ति को बढाने के लिए करे आध्यात्मिक अनुष्ठान -मुनि कुमुद

कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में नवरात्रि के अवसर पर आध्यात्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुआ। अनुष्ठान के पश्चात् जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा- नवरात्रि के दिनों में आसुरी एवं बूरी शक्तियां मनुष्य लोक में विचरण करने आती है। वे किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती है। आध्यात्मिक अनुष्ठान मंत्र साधना के रुप में किया जाता है। इससे हमारी शक्तियों का विकास होता है। हमारे चारों ओर सूर्य, चन्द्र मंगल बुध, बृहस्पति शनि आदि ग्रह और नक्षत्र है। इस सौरमंडल से हमारा जीवन प्रभावित होता है। दुनिया में जो आसुरी शक्तियां हैं उनके एवं अन्य बूरे प्रभावों को रोकने या आत्मसुरक्षा के लिए स्वयं की शक्ति का विकास बहुत आवश्यक है। आत्मशक्ति बलवान होने पर ग्रह नक्षत्र का कुप्रभाव अनुकुलता में बदल जाता है। आध्यात्मिक मंत्रों की शक्ति अचिंत्य होती है, इनकी साधना से विघ्न एवं उपद्रवों का शमन हो जाता है। आत्मशक्तियों से सम्पन्न मनुष्य जीवन में विकास करता है। अपनी शक्तियों को विकसित करने के लिए आध्यात्मिक मंत्रों का जप एवं तप नवरात्रि के दिनों में करना चाहिए। विधि पूर्वक एकाग्रता और तन्मयता से जप करने से मंत्र अधिक प्रभावशाली बनता है। मंत्र साधना आत्महित और आत्मविकास के लिए की जाती है। किसी को नुकसान पहुंचाने की भावना से मंत्र साधना करना वर्जित है। मंत्र, यंत्र, तंत्र का उपयोग आत्महित – परहित में होने से साधना सम्यक् कहलाती है। चंदेसु निम्मलयरा, सिद्धा – सिद्धिं मम् दिसंतु , धम्मो मंगल मुक्किठम् , एवं उपसर्ग स्तोत्र, विध्नहरण का सस्वर अनुष्ठान किया गया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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