रोम : इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के फासीवादी युग के बाद सबसे धुर-दक्षिणपंथी सरकार इटली का नेतृत्व करने जा रही है। शुरुआती एग्जिट पोल इसका संकेत दे रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि जॉर्जिया मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के नेतृत्व में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का एक गठबंधन रविवार के आम चुनाव में 41-45 फीसदी वोट जीतने की तरफ बढ़ रहा है। इटली की अति-रूढ़िवादी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली के 22 से 26 फीसदी वोट जीतने की उम्मीद है। वहीं गठबंधन में उसके सहयोगी द लीग, जिसका नेतृत्व माटेओ साल्विनी कर रहे हैं, के 8.5 से 12.5 फीसदी के बीच और सिल्वियो बर्लुस्कोनी की फोर्ज़ा इटालिया के 6 से 8 फीसदी वोट हासिल करने की उम्मीद है।
धुर-दक्षिणपंथी गठबंधन की नेता के रूप में मेलोनी अब इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। चुनाव के नतीजे सोमवार को घोषित किए जा सकते हैं। मेलोनी की पार्टी ने हाल के वर्षों में बड़ी लोकप्रियता हासिल की है जिसे 2018 के पिछले चुनाव में सिर्फ 4.5 फीसदी वोट मिले थे। एग्जिट पोल में जीत का अनुमान लगाए जाने के बाद से ही मेलोनी के खेमे में जश्न का माहौल है। रविवार रात को उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘दक्षिणपंथी गठबंधन हाउस और सीनेट दोनों में स्पष्ट बहुमत में है। यह एक लंबी रात होगी लेकिन मैं पहले ही आपको धन्यवाद देना चाहती हूं।’
इटली की राजधानी रोम से आने वाली 45 वर्षीय मेलोनी ने ‘God, country and family’ नारे के साथ प्रचार किया था। वह एक ऐसी पार्टी का नेतृत्व करती हैं जिसने एलजीबीटीक्यू और गर्भपात अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव दिया है। वामपंथी गठबंधन, जिसका नेतृत्व डेमोक्रेटिक पार्टी कर रही है, 25.5 से 29.9 फीसदी वोट जीत सकती है। वहीं इटली के पूर्व प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे की फाइव स्टार मूवमेंट पार्टी को सिर्फ 14 से 17 फीसदी वोट मिलने की भविष्यवाणी की गई है। सोमवार तड़के ही डेमोक्रेटिक पार्टी ने हार मान ली और नतीजों को ‘देश के लिए एक दुखद शाम’ बताया।
बेनिटो मुसोलिनी इटली के 40वें प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 20 साल तक देश पर शासन किया। मुसोलिनी समाजवादी विचारधारा के समर्थक थे और उन्हें इतिहास के सबसे क्रूर तानाशाहों में गिना जाता है। मुसोलिनी ने स्विट्जरलैंड जाकर पत्रकारिता भी की और लोगों के बीच एक पहचान कायम की। 1915 में उन्होंने इटली आर्मी जॉइन कर ली और 1919 में फासीवादी पार्टी की स्थापना की। उनकी इस पार्टी को लोगों का काफी समर्थन मिला। रिपोर्ट्स की मानें तो मुसोलिनी के समर्थक राजनीतिक दलों को डराते और खत्म करते थे।