क्या याद रहेगी सभी
हरे भरे पेड़ों की तरह
गुज़रे दिनों के फल से लादी बातें
नये पत्ते नैन हैं
चंदा के होंठ
दिनों की गति नहीं देखते
हृदय तो है धरा का
सर्ववृहत काव्य
और क्या सब
रहेगा याद
तुम्हारे दिल से उमड़ा वो प्यार ।
✍🏾मूल ओड़िया: प्रफुल्ल चंद्र पाढ़ी
कोलनरा, रायगडा जिला
मो_8917324525
✒️अनुवाद : ज्योति शंकर पण्डा
शरत,मयूरभंज