भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने त्वचा का रंग बदलने के लिए जिम्मेदार 135 नये जीन का पता लगाया

मनुष्य की त्वचा, बाल और आंखों का रंग मेलेनिन नामक प्रकाश-अवशोषित वर्णक द्वारा निर्धारित होता है. शोधपत्र के लेखक विवेक बाजपेयी ने कहा, ‘‘मेलेनिन को क्या नियंत्रित करता है, इस बात को समझकर हम हल्के रंग की त्वचा वाले लोगों को मेलेनोमा या त्वचा कैंसर से बचाने में मदद कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘नये मेलेनिन जीन को लक्षित करके हम सफेद दाग और त्वचा के रंग से जुड़े अन्य रोगों के लिए मेलेनिन में बदलाव लाने वाली दवाएं भी विकसित कर सकते है’’.

135 new melanin genes detects

135 जीन ऐसे थे, जिनकी पहली बार पहचान की गई

शोधकर्ताओं को 169 कार्यात्मक रूप से विविध जीन मिले, जो मेलेनिन उत्पादन को प्रभावित करते हैं. इनमें से 135 जीन ऐसे थे, जिनकी पहली बार पहचान की गई. ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सस्टेनेबल केमिकल, बायोलॉजिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर बाजपेयी और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोगियों का शोध हाल ही में ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित किया गया.

मेलेनिन का उत्पादन मेलानोसोम नाम की विशेष संरचनाओं में होता है, जो मेलेनिन-उत्पादक वर्णक कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं, जिन्हें मेलानोसाइट कहा जाता है . हालांकि, लोगों में मेलानोसाइट की संख्या समान होती है, लेकिन उनमें मेलेनिन की मात्रा भिन्न होती है और इसी कारण त्वचा के रंग में भिन्नता देखने को मिलती है. बाजपेयी ने कहा, ‘‘अलग-अलग मात्रा में मेलेनिन के उत्पादन का कारण समझने के लिए हमने सीआरआईएसपीआर-सीएएस 9 नामक तकनीक से अनुवांशिक रूप से कोशिकाएं तैयार की. इस तकनीक का उपयोग करके व्यवस्थित रूप से लाखों मेलानोसाइट से 20 हजार से अधिक जीन हटा दिए और फिर मेलेनिन के उत्पादन पर इसका प्रभाव आंका.

Sunil Kumar Dhangadamajhi

𝘌𝘥𝘪𝘵𝘰𝘳, 𝘠𝘢𝘥𝘶 𝘕𝘦𝘸𝘴 𝘕𝘢𝘵𝘪𝘰𝘯 ✉yadunewsnation@gmail.com

http://yadunewsnation.in