धार्मिकता का सिंचन समाज को बनाता फलदायी -मुनि रमेश
रामपुर (वर्धमान जैन): दो सौ साठ दिन का प्रवास सम्पन्न कर कांटाबांजी से राउलकेला की ओर प्रस्थान पर ओडिशा स्तरीय मंगल समारोह मुनि प्रशांत कुमार जी, मुनि कुमुद कुमार जी का आयोजित हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा- फुल बता रहा है कि माली ने मूल का सिंचन किया है। मूल का सिंचन करने से पौधा फलदायी बन जाता है। धार्मिकता का सिंचन समाज को फलदायी बनाता है। हमे मूल को देखना है और उसका सिंचन करना है। बहुत सारी समस्याएं इस कारण पैदा होती है कि हम मूल पर ध्यान कम देते हैं। हमारे दृष्टिकोण, सोच में बदलाव आना चाहिए तभी समस्या का समाधान होता है। अपने आवेग और आवेश पर नियंत्रण और इन्द्रिय विजय करने वाला जीवन में सफल हो जाता है। मुनि प्रशांत कुमार जी, मुनि कुमुद कुमार जी ने मूल का सिंचन किया है। दोनों संतो ने इस उत्कल की धरा को धर्म का सिंचन दिया। सत्य, अहिंसा, दया, करुणा का सिंचन किया। हम जिस धर्मसंघ से जुडे हुए है वो हमारा मूल है। हमारा धर्मसंघ मजबूत बने ये हमारा प्रयास होना चाहिए। हम हमारे समाज को संगठित बनाकर कार्य करे जिससे संस्था सक्षम बनती जाएं। समाज, परिवार, संघ का शक्ति सम्पन्न बनना विकास का सूचक है। केवल साधु बनना बडी बात नहीं है, अपितु साधु बनकर स्वयं का एवं संघ का विकास करना ही साधुत्व का गौरव है। उडीसा उर्वरा भूमि है। भक्ति वाली भूमि है। साधु-साध्वी का लम्बा प्रवास यहां की जड़ों को मजबूत बनाएगी।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- साधु संत जहां भी जाए वहा मंगल ही मंगल हैं। गुरु का आशीर्वाद साथ होने से सब कुछ मंगल हो जाता है। मुनि श्री रमेश कुमार जी स्वामी का मंगलभाव लेकर आज प्रस्थान कर रहे है। सभी का मंगल हमे शक्ति सम्पन्न बना देता है। जैसी भावना होती है वैसा घटित होता है। हर व्यक्ति प्रतिदिन मंगल भाव स्वयं के लिए करें। प्रतिदिन यह चिंतन करे मेरा जीवन सुखद हो, मंगलमय हो, दूसरो के प्रति भी मंगलकामना करे कि सबका अच्छा हो, कल्याण हो। इस प्रकार की मंगल कामना का अपना महत्व होता है। कई गुणा लाभ मिलता है इस प्रकार के पवित्र भावों से। गुरु का सक्षम नेतृत्व से हमारी आध्यात्मिक साधना बढ़ती जा रही है। नये-नये चिंतन, कार्यों आचार्य के निर्देशानुसार हो रहे हैं। पश्चिम उड़ीसा की श्रद्धा भावना विशेष है, यहां के श्रावकों का साधु साध्वियो के प्रति समर्पण अनूठा है। मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य का ज्यादा से ज्यादा लाभ ले। ज्ञानशाला सभी जगह सुचारू रूप से चले जिससे बच्चे संस्कारी बने।
मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा – कांटाबांजी प्रवास साताकारी रहा, आनन्ददायक रहा। छोटे-छोटे गांव मे साताकारी भवन का आध्यात्मिक दृष्टि से उपयोग होता रहे। प्रतिदिन माला, सामायिक का उपक्रम भवन में चलता रहे। पश्चिम उडीसा में धार्मिक दृष्टि से ठोस कार्य हो जिससे श्रावक-श्राविका में तत्व ज्ञान बढे। आप सभी मे प्रमोद भाव बढता रहे। मुनि रमेश कुमार जी स्वामी का बड़प्पन,प्रमोद भाव अनुकरणीय है। आपका जीवन सरल प्रेरणा – देने वाला है। पश्चिम उडीसा श्रावक समाज का आत्मीयभाव चिर स्मरणीय रहेगा।
मुनिरत्न कुमारजी ने कहा- संत तो मंगल ही होते हैं। मंगल भावना संतों के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करने का तरीका है। चातुर्मास से श्रावक-श्राविका समाज मे धार्मिक भावना परिपक्क बनती है। आध्यात्मिकता हमारे जीवन का मूल है। उससे विनय, विवेक, क्षमा, सहनशीलता का विकास होता है। दोनों ही संतो की आगामी यात्रा धर्मसंघ की प्रभावना बढ़ाने वाली है। यहां की भावना गुरु के चरणों तक पहुँचती रहे। जिससे साधु-साध्वी का प्रवास दीर्घ होता रहे।
मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मण्डल के मंगलाचरण से हुआ रामपुर सभा मंत्री गोविंद जैन, कांटाबांजी सभा मंत्री सुमीत जैन, कांटाबांजी तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अंकित जैन, रामपुर तेयुप अध्यक्ष राकेश जैन, महिला मण्डल रामपुर से श्रीमति अनुराधा, श्रीमति प्रिती जैन, ज्ञानशाला प्रशिक्षक रश्मि जैन, बगुमुंडा सभा अध्यक्ष अशोक जैन, बलांगीर से मनोज जैन, टिटलागढ सभा कोषाध्यक्ष निर्मल चौधरी, केसिंगा सभा अध्यक्ष रामनिवास जैन, घसियन से बाबूलाल जैन, प्रांतीय सभा अध्यक्ष मुकेश जैन, आंचलिक प्रभारी छत्रपाल जैन, महासभा प्रभारी केशव नारायण जैन, विनोद जैन, ज्ञानशाला परिवार ने वक्तव्य के द्वारा मंगल कामना व्यक्त की। कांटाबांजी महिला मंडल ने भाव पूर्ण विदाई गीत प्रतुत किया। आभार ज्ञापन कुणाल जैन ने किया, कार्यक्रम का संचालन विशाल जैन ने किया।