मोक्ष की सीढ़ी पाने के लिए निर्जरा की जाती है
कांटाबांजी (बर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद कांटाबांजी के तत्वावधान में “मोक्ष की सीढ़ी चण्डकौशिक का डंक” कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुनि प्रशांत कुमार जी ने सम्बोधित करते हुए कहा – मोक्ष पहुंचने के लिए जीवन में साधना की अपेक्षा होती है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी साधु की तरह जीवन जी सकते हैं। प्रत्येक धर्म संसार से मुक्त होने की प्रेरणा देता है। भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनियों की प्राचीन संस्कृति रही है। वेद में चार आश्रम का वर्णन मिलता है।
आगम में श्रावक जीवन, साधु जीवन की आचार संहिता, साधना, कर्म मुक्ति का तीर्थंकरों ने उपदेश दिया है। जहां जीवन सम्यक् होता है वहां अपराध अपने आप कम हो जाते हैं। यही धर्म का सार होता है। साधना करके कितने ही जीवों ने मुक्ति को प्राप्त किया है। मोक्ष जाने के लिए पुरुषार्थ एवं भाग्य दोनों अपेक्षित है। आत्मसाधना करने वाला अपने कर्मों का क्षय करता है। कर्म क्षय होने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष का मार्ग कठिन होता है लेकिन पुरुषार्थ के द्वारा मंजिल की प्राप्ति हो जाती है। परमानंद का सुख पाने के लिए परम बनना होता है। पवित्र तन, मन से ही भाव पवित्र बनते है। मोक्ष की सीढ़ी पाने के लिए निर्जरा की जाती है। इस कार्यक्रम में स्वाध्याय किया जाता है जिससे हलुकर्मी बन सकें।
मुनि कुमुद कुमार जी ने श्रावकों का ज्ञान बढ़े इसी दृष्टिकोण से यह कार्यक्रम आयोजित किया। ऐसे कार्यक्रमों से प्रेरणा लेकर आत्मविकास करना चाहिए। मुनि कुमुद कुमार जी के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम पांच राउंड में चला। जिसमें भगवान ऋषभ, भगवान महावीर स्वामी , जैन धर्म एवं सामान्य ज्ञान का उपक्रम चला। सामायिक, स्वाध्याय, वाणी संयम, जप, ध्यान, खाद्य संयम पर अपने विचारों की प्रस्तुति देने के साथ उपदेशात्मक, स्तुतिपरक, प्रेरणादायक गीत का संगान किया। सिद्ध ग्रुप, उपाध्याय ग्रुप, एवं मुनि ग्रुप ने विजेता का खिताब जीता। जैन इतिहास , जैन दर्शन में वर्णित जीवन के मूल्यपरक मापदण्डों को जानने का यह उपक्रम बहुत रोचक रहा। प्रतिभागियों से विविध रूप से जानकारी प्राप्त की गई। आचार्य ग्रुप के मोक्ष पहुंचने में बाधक बना चण्डकौशिक जिसे माला के मोती एवं गणधरों ने सहारा बनकर बचा लिया। सम्पूर्ण परिषद से भी जैन इतिहास, तत्व एवं सामान्य ज्ञान की जानकारी प्राप्त की गई।
मुनि कुमुद कुमार जी एवं गौरव विमल जैन ने इस कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए संभागी से तीर्थंकर परम्परा,जैन धर्म, सामान्य ज्ञान एवं आचार्यो से संबंधित जानकारी प्राप्त की गई। तेयुप उपाध्यक्ष दीपक जैन ने कार्यक्रम की उपयोगिता को उजागर किया स्कोर बोर्ड की भूमिका का निर्वाहन करते हुए ऋषभ जैन ने सभी का मूल्यांकन किया। समय प्रबंधन की भूमिका दीपक जैन ने पूर्ण की। आभार ज्ञापन मंयक जैन ने किया। कन्या मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।