नई दिल्ली: भारत-चीन या भारत-तिब्बत सीमा पर तैनात जवानों को बहुत जल्दी मौसमी सुरक्षा कवच मिलने वाला है। इस मौसमी सुरक्षा कवच की मदद से वह पूरी साल किसी भी मौसम में वहां पर तैनात रह सकेंगे। यह सुरक्षा कवच उन्हें शून्य से 35 डिग्री कम से लेकर 40 डिग्री तापमान में उन्हें 21 डिग्री का अहसास दिलाएगा। सबसे बड़ी बात की यह पर्यावरण के पूरी तरह के अनुकूल है। यानी अब दुश्मनों की चालबाजियों पर साल के 365 दिन नजर रखी जा सकेगी और गलवान घाटी या पैंगोंग लेक के नॉर्थ बैंक वाली परिस्थिति पैदा नहीं होगी। चीन ने जिस तरह से अपनी सीमाओं को लेकर एक नया कानून बनाया है, उससे आशंका यही लग रही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उसकी चालबाजियां खत्म होने वाली नहीं हैं। यानी भारत के लिए संदेश साफ है कि वह पश्चिम में लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश के जाचेप ला तक अपनी मुस्तैदी किसी भी कीमत पर हल्की नहीं होने दे सकता। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने 17,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाली भारत-चीन सीमा पर हर मौसम में काम आने लायक सोलर पावर टेंट लगाने की मंजूरी दे दी है। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सोलर पावर टेंट माइनस 35 डिग्री तापमान से लेकर 40 डिग्री तक सैनिकों के रहने के अनुकूल रहेगा। जिस गाइडलाइंस को मंजूरी मिली है, उसको लेकर एलएसी की रक्षा करने वाली भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने भी सुझाव दिए थे और यह प्रस्ताव चार साल से लंबित पड़ा था। अधिकारियों के मुताबिक भारत-चीन के बीच पिछले साल से तकरार बढ़ने के बाद इस प्रक्रिया को तेज किया गया। इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक आईटीबीपी कुछ बेस पर सोलर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अभी भी कर रही है, लेकिन सोलर-पावर टेंट मिलने से उन्हें बहुत ऊंचे स्थानों पर शून्य से नीचे तापमान में भी टिके रहने में मदद मिलेगी।