फिरदौस हसन ने जब बिग बी को बताया कि उन्होंने इस फिल्म में गलत डायलॉग बोला था…. जानिये क्या है पूरा किस्सा

वेब सीरीज आखिरी सच इनदिनों हॉटस्टार पर स्ट्रीम कर रही हैं, इस सीरीज का अहम हिस्सा अभिनेता फिरदौस हसन भी हैं. बिहार के गया के रहने वाले फिरदौस 2006 से इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. मुक्काबाज़, राब्ता और संजू जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे फिरदौस ने अपने करियर की शुरुआत फरहान अख्तर की फिल्म लक्ष्य से की थी. वह शाहरुख खान के साथ फिल्म वीर ज़ारा में भी काम कर चुके हैं. अभिनेता फिरदौस हसन की इंडस्ट्री में अब तक की जर्नी और लीजेंड एक्टर्स के साथ स्क्रीन शेयर करने पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत….

वेब सीरीज आखिरी सच का रिस्पांस कैसा रहा और आप एक लम्बे ब्रेक के बाद शो आखिर सच से जुड़े क्या शूटिंग के वक्त नर्वस थे ?

माशाल्लाह शो हिट हो चुका है. सीरीज को रिलीज हुए पांच हफ्ते ऊपर से हो चुके है, लेकिन लोग अभी भी इसे सराह रहे हैं. एक लम्बे वक़्त के बाद शूटिंग की जहां तक बात है. मुझे लगभग तीन साल शूट किये हुए हो गया था. लॉकडाउन के बाद कोई काम शुरू नहीं हुआ था. लॉकडाउन के बाद यह मेरा पहला काम था. मैं बहुत परेशान था. बहुत बेबसी और मायूसी थी,लेकिन शूटिंग के वक़्त घबराया हुआ नहीं था. मुझे ऐसा लगा कि ये मौका मिला है, तो मुझे अच्छा करना है. मैं अगर जिन्दा हूं. जीता हूं तो एक्टिंग के लिए जीता हूं. अगर वो काम मुझे मिला है, तो मैं उसमें अपना पूरा 100 प्रतिशत दूंगा.

कोएक्टर के तौर पर तमन्ना को किस तरह से परिभाषित करेंगे?

तमन्ना बहुत अच्छी हैं. वह बहुत मददगार हैं. मेरे तो उनके साथ बहुत लम्बे लम्बे सीन थे, कई बार क्या होता है कि जब एक्टर पर कैमरा नहीं होता तो वह चले जाते हैं और असिस्टेंट डायरेक्टर या कोई और आपको क्यू देता है, लेकिन तमन्ना खुद से क्यू दे रही थी, जब उनपर कैमरा नहीं था तो भी. एक दो सीन में हमारी टाइमिंग मैच नहीं हो पा रही थी , तो उन्होंने ट्रिक भी बतायी कि ऐसा कर लेते हैं फिरदौस शायद हो जाए. वह सोने के दिल वाली लड़की हैं.

फ़िल्मों से आपका जुड़ाव कैसे हुआ?

मैं बिहार के बहुत छोटे शहर से हूं. गया के शेरघाटी से हूं. दस तक की पढाई वहीं से की, फिर मैंने आगे की पढाई पटना के साइंस कॉलेज से की. मैं फिल्मों से बहुत देर से जुड़ा क्योंकि मेरे पिताजी को फिल्में देखना तक पसंद नहीं था. पटना में मैं पहली बार थिएटर में फिल्म देखने गया था. मैं एक बार मिथुन चक्रवर्ती सर की फिल्म अपने भाई के साथ फिल्म देख रहा था. उसमें वह मर जाते थे. मैंने बोला ये मर गए. भाई ने कहा की ये एक्टिंग कर रहे हैं. .एक और फिल्म देखी, जिसमें वह जिंदा थे. मुझे ये बात बहुत प्रभावित कर गयी कि ये कौन सी दुनिया है, जहां आप एक साथ कई ज़िंदगियाँ जी सकते हैं. इसके बाद वर्ल्ड सिनेमा से जुड़ा. पहली हॉलीवुड फिल्म टाइटैनिक देखी थी. उसके बाद तय हो गया कि एक्टिंग ही करूंगा.

अभिनय के लिए खुद को कैसे तैयार किया?

मैं दिल्ली चला गया, वहां नाटकों में जुड़ने के साथ-साथ मैं जेएनयू में जापानी भाषा की पढाई करने लगा. इसकी खास वजह थी क्योंकि मैं कोई और जॉब में जाना नहीं चाहता था. मुझे एक्टर बनना था. जितने भी इंटरव्यू पढ़े थे या संघर्ष की कहानियां सुनी थी. उनसे ये बात समझ आयी कि मेरा बॉम्बे में कोई नहीं है. कोई खानदान में भी नहीं गया है, तो मैं मुंबई में कैसे रहूंगा. जैपनीज़ भाषा मैंने एक्टिंग कैरियर को सपोर्ट करने के लिए किया था और उसने मेरे एक्टिंग के संघर्ष में बहुत मदद भी की. बॉम्बे आने से पहले मैंने जैपनीज में काम करके पैसे जमा करके आया था. मुंबई में फिर संघर्ष में पैसे ख़त्म हो जाते थे, तो मैं दिल्ली जाकर एक महीना जापानी भाषा में अनुवादक के तौर पर काम कर करता था और फिर उसी पैसे से 11 महीने मुंबई में संघर्ष करता था.

पहला मौका कब और कैसे मिला था?

दिल्ली में मैं जेएनयू में पढाई करने के साथ साथ सफदर हाशमी के नाटक ग्रुप से जुड़ गया था. पढाई करते समय ही मुझे मेरी पहली फिल्म लक्ष्य मिल गयी.दरअसल एक दिन एक सीनियर ने कहा कि ग्रीन पार्क में एक फिल्म का ऑडिशन चल रहा, जिसमें अमिताभ बच्चन और रितिक रोशन है. मेरे कान खड़े हो गए. तय किया कि अगले दिन मैं वहां जाऊंगा. मैं वहां 4 बजे ही पहुंच गया, लेकिन मुझे पता नहीं मिल रहा था. आधा एक घंटा ढूंढा, लेकिन नहीं मिला. मायूस होकर बस लेने के लिए वापस निकल आया, लेकिन बस लेता इससे पहले दिमाग में आया कि एक बार और कोशिश करते हैं. जहां मैं पता ढूंढ रहा था, वही पर था लेकिन बेसमेंट में ऑडिशन चल रहा था. एक ने बताया बेसमेंटकी तरफ भागा. देखा एक महिला सारे पेपर समेट रही थी. मैंने बोला मैं ऑडिशन देने आया हूं. उन्होंने बोला ऑडिशन तो खत्म हो गया है . मैंने बोला मैडम मैं बहुत दूर से आया हूं. डेढ़ 2 घंटे से भटक ही रहा हूं. वह बॉलीवुड की प्रसिद्ध कास्टिंग डायरेक्टर नंदिनी श्रीकांत थी . उन्होंने कहा कि मैं तुमको स्क्रिप्ट तो नहीं दे पाऊंगी, लेकिन तुम कैमरे के सामने खड़े हो जाओ. मैं तुमसे कुछ सवाल पूछूंगी. तुम उसके जवाब देते जाना. यह मेरी लाइफ का पहला अनुभव था, इससे पहले मैंने कभी भी ऑडिशन नहीं दिया था.उन्होंने मुझे मेरे बारे में, मेरे हॉबीज के बारे में पूछा और मैं जवाब देता चला गया . मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब देता चला गया . उसे वक्त मेरे पास फोन तो था नहीं, मैं अपने हॉस्टल का एड्रेस और फोन नंबर दिया और चला आया. मैं इसी बात से बहुत खुश था कि मैंने ऑडिशन दे दिया. इसके 10 से 12 दिन के बाद एक दिन में एक दिन में लाइब्रेरी से पढ़ाई करके हॉस्टल जा रहा था . मैं देखता हूं कि हॉस्टल के गेट पर भीड़ लगी हुयी है. सभी खुश और बहुत ही उत्साहित थे. मैने सोचा क्या हो गया भाई. लोगों ने बताया कि दो लोग मुझसे मिल्ने आये थे. उनका कहना था कि मेरा सिलेक्शन लक्ष्य फिल्म के लिए हो चुका है. उन्होंने अपना नंबर दिया है और कॉल करने को कहा है. उसके बाद तो मैंने कुछ नहीं सोचा मैं दौड़ते हुए भाई के हॉस्टल की तरफ भागा, क्योंकि मेरे भाई के पास मोबाइल फोन था. इस तरह से लक्ष्य फिल्म में मेरा सिलेक्शन हो गया.

लक्ष्य फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ क्या कभी बात करने का मौका मिला था ?

फिल्म मैं नायक त्रिलोक सिंह का किरदार निभाया था, जो 6 कमांडो में से एक थे. उस फिल्म में अमिताभ बच्चन, रितिक रोशन प्रीति जिंटा जैसे प्रसिद्ध चेहरे थे. यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं वाकई इनके साथ काम कर रहा हूं. सभी से बातें होती थी. अमित जी को मैंने बताया था कि मैं जापानी भाषा रहा हूं, तो उन्होंने मुझे जापानी में कुछ बोला.जिसका मतलब जापानी में थैंक यू वेरी मच होता है . उन्होंने यह शब्द फिल्म नमक हराम में बोला था पर्दा खुलने और बंद करने के लिए बोला था. मैंने सर को बोला कि सर आपने थैंक यू वेरी मच बोला था, जो उस दृश्य के लिए सही नहीं था. वो गलत डायलॉग था. उस सीन में पर खुल जा सिम सिम या बंद हो जा सिम सिम ऐसा कुछ जापानी भाषा में बोलना था, तो उन्होंने कहा कि मुझे कैसे पता होगा,जो हमें लिख कर दिया जाता है. वह हम बोल देते हैं.

आपने शाहरुख खान सर के साथ वीर जारा में काम किया था, उसका अनुभव कैसा परिभाषित करेंगे ?

शाहरुख खान सर के साथ पहली मुलाकात मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है. कोर्ट सीन चल रहा था. बड़ा सेट लगाया गया था. मैं जज के सामने मुंह करके बैठा हुआ था. मुझे अचानक से महसूस हुआ कि पीछे कुछ हुआ. मैं पीछे पलट कर देखा कि शाहरुख खान सर चल कर आ रहे हैं. मैंने उसे दिन महसूस किया कि उनके अंदर एक मैग्नेटिक अपील है, जो महसूस कराती है कि वह आसपास है. उनके पास जो और है वह बाकी से बहुत ही अलग है.हमने साथ में 12 दिन शूट किया था. वो बहुत ही हम्बल इंसान है. सेट पर सब से बात करते थे सब साथ में खाना खाने को कहते थे. मुझे कहते कि हमेशा काम करते रहना काम कभी मत छोड़ना.

अपने शुरुआत बड़ी फिल्मों से की थी फिर क्या हुआ जो चीज़ें वैसी नहीं हुई जैसी होनी चाहिए थी?

मुझे लगता है कि शुरू में मुझे यह चीज दे दी गई ताकि मैं यहां आऊं और संघर्ष करने से कभी घबराऊं नहीं. इन फिल्मों को करने के बाद में पढ़ाई करने के लिए वापस दिल्ली चला गया. 2006 में वापस मुंबई आ गया और फिर वही से मेरा संघर्ष शुरू हुआ. एक्टिंग में अच्छे मौके मिल नहीं रहे थे. मैंने मॉडलिंग और विज्ञापन फिल्मों से पैसे थोड़े बहुत कमाना शुरू कर दिया . फिर सोचा कि मैं तो मॉडल बनने के लिए मुंबई आया नहीं था. मैंने डिसाइड किया गया कि मैं मॉडलिंग नहीं करूंगा क्योंकि पैसा कहीं से भी आएंगे, तो फिर आपका फोकस एक्टिंग में कम हो जाता है.2010 में मैंने जापानी ट्रांसलेटर का काम भी बंद कर दिया. मैंने सोचा कि मैं सिर्फ और सिर्फ एक्टिंग से पैसे कमाऊंगा. 2011 में मुझे एक फिल्म मिली थी. जिसमे मेरी लीड भूमिका थी, लेकिन वह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हो पाई.मैं फिर छोटे-मोटे काम करने लगा. मुक्काबाज, संजू, राब्ता जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने लगा. जैसा काम चाहता था, वैसा मिल नहीं रहा था, लेकिन मजबूरी थी तो जो मिल रहा था वही करता चला गया.

क्या कभी परेशान नहीं हुए सबसे मुश्किल वक्त क्या था?

लॉकडाउन में बुरी तरह से परेशान हुआ था था. लॉकडाउन के बाद से मेरी हिम्मत थोड़ी जवाब देने लगी थी .शादी हो चुकी थी और बच्चा भी.उससे पहले मैं नहीं टूटा था. फिर मैंने तय कर लिया कि मैं जापान जाऊंगा और वहां पर कुछ 1 साल रहकर काम करूंगा और पैसे लाकर फैमिली को सेटल करके उसके बाद एक्टिंग फिर से अपना संघर्ष शुरू करूंगा, लेकिन आखरी सच का ऑफर आ गया.

आपके पिता फिल्मों के खिलाफ थे, ऐसे में एक्टर बनने के फैसले को उन्होंने कैसे स्वीकारा?

मैं जब एक्टिंग शुरू की थी, तो मेरे घर में किसी को पता ही नहीं था.सिर्फ मेरे बड़े भाई को पता था जो दिल्ली में मेरे साथ थे. मेरे पिता प्रिंसिपल होने के साथ-साथ मौलाना थे. उनको फिल्मों से नफ़रत थी, लेकिन जब मेरा सिलेक्शन फ़िल्म लक्ष्य में हो गया और फिर मेरा इंटरव्यूज आने लगे तो उनको मालूम पड़ गया और बहुत नाराज हो गए थे लेकिन उनके स्कूल में बहुत सारे उनके दोस्त थे, जिन्होंने समझाया कि देखिए मौलाना साहब आपका बच्चा जो कर रहा है. वह छोटा-मोटा काम नहीं है. पूरी दुनिया इसके पीछे लगी है लेकिन बहुत कम लोगों को मौका मिल पाता है. आपके बेटे को मौका मिला है कि वह रितिक रोशन, अमिताभ बच्चन के साथ काम कर सके. पिताजी ने मेरी कभी कोई फिल्म नहीं देखी, लेकिन फिर उन्होंने कभी कोई नाराजगी भी नहीं जतायी. 2017 में उनकी मौत हो गई,जो मेरी लाइफ का सबसे बड़ा अफसोस है कि मैं मुंबई में संघर्ष करता रहा और उनके साथ समय नहीं बता पाया.

बिहार से कितना जुड़ाव रहता है

बहुत ज्यादा रहता है.मैं पैदा ही वहीं पर हुआ. वह मेरी मिट्टी है . मैं हमेशा बिहारी ही रहूंगा. मेरा परिवार अभी वहां पर है, इसलिए साल में एक दो बार आना जाना हो जाता है.

आपके आने वाले प्रोजेक्ट

एक फिल्म मैंने पूरी कर ली है रिवाज का नाम है. एक और फिल्म में शुरू करने वाला हूं , जिसमें मेरी लीड भूमिका होगी. एक दो प्रोजेक्ट और हैं.

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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