नई दिल्ली: समूचे उत्तर भारत में चल रही शीत लहर के बीच किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। कड़ाके की ठंड में भी किसानों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद की हुई है। इस बीच आंदोलन के दौरान जान गंंवाने वाले किसानों को याद किया जाएगा।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि रविवार को देश के सभी जिलों, तहसील व गांवों में श्रद्धांजलि सभाएं होंगी। इसमे आंदोलन के दौरान जान गंंवाने वालों को याद किया जाएगा। जबकि भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के ओंकार सिंह ने बताया कि किसानों की याद में 11 बजे से एक बजे के बीच श्रद्धांजलि सभाएं होंगी। इससे देश का हर किसान आंदोलन से जुड़ जाएगा और तीनो कानूनों के खिलाफ मजबूती से वह अपनी आवाज रखेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार के आयोजन के लिए एक पोस्टर भी जारी किया है। इसमें आंदोलन में जान गंंवाने वाले किसानों की तस्वीरें लगी हैं। इसे अलग-अलग माध्यमों से पूरे देश में भेजा रहा है।
दूसरी तरफ सिंधु, टीकरी व गाजीपुर बॉर्डर के धरना स्थलों पर सभाएं होंगी। मुख्य आयोजन सिंघु बॉर्डर पर होगा। यहां किसान संगठनों के नेता मौजूद रहेंगे। किसान जान देने वाले अपने भाइयों को श्रद्धांजलि देंगे और सरकार के रवैए पर चर्चा करेंगे। श्रद्धांजलि सभा खत्म होने के बाद आखिर में सिंघु बॉर्डर पर दोपहर बाद दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक होगी।
इसमें आंदोलन के आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार हर तरीके से आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन आंदोलन हर दिन ज्यादा बड़ा होता जा रहा है। रविवार की देशव्यापी मुहिम से सरकार को पता चल जाएगा कि किसानों का आंदोलन किस स्तर पर जमीन से जुड़ा हुआ है।