मणिपुर में पिछले 27 दिनों से जारी हिंसा के बीच गृह मंत्री अमित शाह अपने चार दिवसीय दौरे को लेकर कल देर रात इंफाल पहुंचे, जहां वह जातीय हिंसा का समाधान निकालकर शांति बहाल करने के उद्देश्य से अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. वह दिल्ली से एक विशेष विमान से इंफाल के बीर टीकेंद्रजीत इंफाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे. सूत्रों ने कहा कि शाह हालात का आकलन करने और सामान्य स्थिति बहाल करने की योजना बनाने के लिए मंगलवार को अनेक दौर की बैठक कर सकते हैं वहीं मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन के नेतृत्व में आज राष्ट्रपति मुर्मू मिलेगा.
4 जून तक मणिपुर की यात्रा पर रहेंगे शाह
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से शाह की यह राज्य की पहली यात्रा है. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर में तीन मई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी इलाकों में निकाले गए जनजातीय एकता मार्च के दौरान जातीय हिंसा भड़क उठी थी. शाह 29 मई से एक जून तक मणिपुर की यात्रा पर होंगे. सूत्रों ने बताया कि वह सोमवार रात को इंफाल पहुंचेंगे. यह मणिपुर में तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद राज्य का शाह का पहला दौरा होगा. सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर दौरे पर शाह के नागरिक समाज और मेइती व कुकी सहित अन्य समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलने की संभावना है.
खरगे के नेतृत्व में विपक्ष करेगा राष्ट्रपति से मुलाकात
वहीं कांग्रेस मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र पर तीखा हमला करते हुए नजर आ रही है. कांग्रेस ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वहां एक भयावह त्रासदी सामने आ रही है जबकि प्रधानमंत्री अपने ‘खुद के राज्याभिषेक’ को लेकर जुनूनी हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार सुबह राज्य की स्थिति के बारे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेगा.
अमित शाह इंफाल पहुंचे हैं, जब चीजें बद से बदतर हो गईं- कांग्रेस
उन्होंने कहा कि मणिपुर के जलने के 25 दिनों के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इंफाल पहुंचे हैं, जब चीजें बद से बदतर हो गईं. रमेश ने ट्विटर पर कहा, “अनुच्छेद 355 लागू होने के बावजूद, राज्य में कानून व्यवस्था और प्रशासन पूरी तरह चरमरा गया है.” “यह एक भयावह त्रासदी है, जबकि प्रधानमंत्री अपने आत्म-राज्याभिषेक के बारे में पागल हैं. उन्होंने शांति की एक भी अपील जारी नहीं की और न ही समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए कोई वास्तविक प्रयास किया है.
हिंसा में अबतक 75 से अधिक मौत
इससे पहले दिन में, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि घरों में आग लगाने और नागरिकों पर गोलीबारी करने में शामिल लगभग 40 सशस्त्र आतंकवादी सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए हैं क्योंकि उन्होंने जातीय दंगों से घिरे पूर्वोत्तर राज्य में शांति लाने के लिए एक अभियान शुरू किया था. अलग से, पुलिस अधिकारियों ने रविवार को कहा कि दिन के शुरुआती घंटों से नागरिकों पर गोलीबारी और आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष की विभिन्न घटनाओं में कम से कम दो लोग मारे गए और 12 घायल हो गए.75 से अधिक लोगों की जान लेने वाली जातीय झड़पें पहली बार मणिपुर में तब शुरू हुईं, जब 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जो मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में आयोजित किया गया था.