भक्तामर एवं बीजाक्षर कार्यशाला

चमत्कारी मंत्रों का खजाना है भक्तामर स्तोत्र -मुनि प्रशांत

कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में डा. अर्चना विनय जैन की प्रस्तुती में तेरापंथ सभा द्वारा भक्तामर बीजाक्षर कार्यशाला आयोजित हुई। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा – भक्तामर स्तोत्र प्रभु ऋषभ की निष्काम भक्ति का एक अनुपम उदाहरण है। आचार्य मानतुंग ने श्रद्धा और भक्ति के सागर में निम्मजन करते हुए भगवान आदिनाथ के गुणों की जो स्तुति की है वो अनुठी है। भक्तामर स्तोत्र मंत्रों का खजाना है। इसके प्रत्येक श्लोक में चमत्कारिक मंत्र गर्भित है। इसके लक्ष्मी- प्रदायक , विद्या- प्रदायक, विजय -प्रदायक एवं सर्वसिद्धिदायक मंत्रों की साधना से अनेक सांसारिक चिंताओं से छुटकारा मिलता है। परिस्थितियां अनुकूल बनती है। भक्तामर की साधना से अनेक प्रकार की शारीरिक मानसिक व्याधियों एवं केंसर जैसी बीमारियों से भी निजात मिलता है। तीर्थंकरों एवं वीतराग आत्माओं की श्रद्धापूर्वक स्तुति करने से पापकर्म क्षय होते है।शुभकर्मो के पुण्यो का उदय होता है। बीज मंत्रो के सही उच्चारण से शक्तिशाली तरंगें निकलती है।वे तरंगें हमारी समस्त नकारात्मक प्रभावों को खत्म कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण करती है।मंत्राक्षर स्वयं विद्युतमय होते है। आस्था के बिना कोई भी मंत्र फलवान नहीं बनता है। ओम् में पंचपरमेष्ठी का समावेश है। अर्हम् अरिहंत का प्रतीक है। अर्हम् से अरिहंत की शक्ति का ध्यान होता है। इसमें हीलींग पाॅवर बहुत है। भक्तामर के प्रत्येक श्लोक का अपना महत्व है। विशेष सिद्धि की प्राप्ति के उद्देश्य से विधि सहित साधना करने से यथार्थ लाभ प्राप्त होता है। मानतुंग आचार्य ने भगवान ऋषभ के गुणों का महिमागान कर उनकी महिमा को उच्च बताते हुए अपनी भक्ति को प्रदर्शित किया है। डा. अर्चना जी अनुभव बहुत है। अनेक स्तोत्र याद है। जीवन में जैनत्व मुखर है। त्याग- संवर बहुत है। ध्यान के विभिन्न प्रयोग अर्चना जी ने करवाएं उन प्रयोगों से जीवन का वास्तविक आनंद मिलता है। अर्चना जी के भक्तामर बीजाक्षर के प्रयोग से व्यक्ति लाभान्वित बने। अर्चना जी की आध्यात्मिक साधना उच्च से उच्चतम बनती रहें।


डा. अर्चना विनय जैन ने कहा – गुरुदेव मानतुंग ने भगवान ऋषभ की भावपूर्ण स्तुति की।उनका उद्देश्य संकट निवारण नही अपितु भगवान के प्रति भक्ति करनी थी।भावक्रिया से तन्मय होकर अपने आप को अज्ञानी बताकर ऋषभ प्रभु के महत्व को शब्दों में गुम्फित किया। तीर्थंकर भगवान ऋषभ के अतिशय,वचनातिशय एवं आत्मस्वरुप को बताया। भक्तामर स्तोत्र में जो शब्दों का चयन किया है उस शब्द-शब्द में शक्ति का समावेश है। प्रत्येक श्लोक के प्रत्येक शब्द में ज्ञान का, विद्या का, मंत्रों का भण्डार है।सैकडो समस्याओं का समाधान भक्तामर स्तोत्र से हो जाता है।

मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया – भक्तामर बीजाक्षर में पीएचडी डिग्री प्राप्त डा. अर्चना विनय जैन ने भक्तामर स्तोत्र के अडतालीस श्लोक के बीजमंत्र, सिद्धिमंत्र का शारीरिक मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को प्रोजोक्टर के माध्यम से बताया। ध्यान के विभिन्न प्रयोग के माध्यम से आनंदमय जीवन जीने का तरीका बताया। लगभग छः घंटे की कार्यशाला में भक्तामर बीजाक्षर का प्रभाव से जनमानस ने बहुत सराया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष युवराज जैन, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष अंकित जैन, तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्ष श्रीमती बाॅबी ने मोमेंटो प्रदान कर डा. अर्चना जी का सम्मान किया। कार्यक्रम में केसिंगा बोरडा कुरसुर चांदोतारा सिंधिकेला बगुमुंडा बेलपाडा रामपुर पटनागढ बारडोली विजयनगरम कटक अम्बिकापुर दिल्ली बोबली क्षेत्र के लिए सहभागी बने।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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