‘गाँ मजलिस’ पुस्तक को वर्ष 1983 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हुआ था
नई दिल्ली (रजत बंशल): उत्कल केशरी नाम से लोकप्रिय रहे ओड़िशा के प्रख्यात राजनेता, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित ओड़िआ निबंध संग्रह ‘गाँ मजलिस’ के साहित्य अकादेमी द्वारा हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद में ‘गाँव मजलिस’ शीर्षक से प्रकाशित पुस्तकों की प्रथम प्रतियाँ माननीया राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु को भेंट की र्गइं।
इस अवसर पर उन्हें अकादेमी द्वारा हरेकृष्ण महताब पर प्रकाशित विनिबंध का नया पुनर्मुद्रित संस्करण भी भेंट किया गया। साहित्य अकादेमी द्वारा वर्ष 1983 में ओड़िआ भाषा के लिए पुरस्कृत ‘गाँ मजलिस-भाग 3’ पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक तरुण कुमार साहू और हिंदी अनुवादक सुजाता शिवेन हैं। ओड़िआ विनिबंध के लेखक वैष्णव चरण सामल हैं।
साहित्य अकादेमी ने डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई थी, जिसका अवलोकन भी माननीया राष्ट्रपति ने किया। प्रदर्शनी में उनका स्वागत अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने किया और डॉ. महताब द्वारा लिखित पुस्तकों के बारे में विस्तार से बताया। प्रदर्शनी अवलोकन के समय माननीया राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, ओड़िशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी एवं कटक के सांसद तथा हरेकृष्ण महताब के पुत्र श्री भर्तृहरि महताब भी थे। अपने वक्तव्य में शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि युवा पीढ़ी को नवओड़िशा के निर्माता हरेकृष्ण महताब को अवश्य पढ़ना चाहिए।
इसमें साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक के हिंदी, अंग्रेजी अनुवाद के साथ ही उनपर लिखित विनिबंध सहायक होंगे। समारोह को माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु सहित पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, ओड़िशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर हरेकृष्ण महताब की स्मृति में डाक टिकट एवं सिक्के का विमोचन भी राष्ट्रपति महोदया के करकमलों द्वारा हुआ।