नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी भी सक्रिय हो गई हैं। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि दीदी पूरी ताकत के साथ यूपी के चुनावी मैदान में उतरेंगी। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि ममता की पार्टी यूपी में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किसके साथ मिलकर लड़ेगी। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि सपा के मुखिया अखिलेश यादव के साथ उनका समझौता हो सकता है और उनके साथ मिलकर वह यूपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को काउंटर करती नजर आएंगी। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो ममता की दिलचस्पी यूपी चुनाव से ज्यादा अपने आपको 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने की है। इसलिए अब उनकी पार्टी यूपी में उनकी रैलियों का खाका तैयार करने में जुट गई है।
दरअसल, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनकी शानदार जीत ने उन्हें विपक्षी नेताओं की कतार में शीर्ष पर पहुंचा दिया है, जो भाजपा को गिराने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी की दुर्जेय चुनावी मशीनरी को 2024 के लोकसभा चुनाव में हराया जा सकता है। लेकिन क्या ममता मोदी का विकल्प बन सकती हैं? ममता देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक के निर्विवाद नेता के रूप में उभरी हैं, जो लोकसभा में 42 सांसदों को भेजता है, केवल उत्तर प्रदेश (80) और महाराष्ट्र (48) के बाद उसका तीसरा स्थान है। वह निडर हैं और उन्होंने दिखा दिया है कि वह भाजपा नेताओं द्वारा अपनाई गई किसी तरह की रणनीति से भी नहीं डरती हैं। कांग्रेस बार-बार भाजपा से मुकाबला करने में विफल रही है, लड़ने और जीतने की कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही है। इस समय, विपक्षी दलों को गांधी परिवार के कांग्रेस नेतृत्व पर बहुत कम भरोसा है।