सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा योगेन्द्र सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के औरंगाबाद अहीर गांव में 10 मई, 1980 को हुआ था। 27 दिसंबर, 1996 को सेना की 18 ग्रेनेडियर बटालियन में भर्ती हुए योगेन्द्र सिंह यादव की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सेना की ही रही है। 11 जुलाई, 1999 तक चलने वाला विजय अभियान इतना सरल नहीं था और उसकी सफलता में ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव का बड़ा योगदान है। ग्रेनेडियर यादव की कमांडो प्लाटून ‘घटक’ कहलाती थी। उसके पास टाइगर हिल पर कब्जा करने के क्रम में लक्ष्य यह था कि वह ऊपरी चोटी पर बने दुश्मन के तीन बंकर काबू करके अपने कब्जे में ले। इस काम को अंजाम देने के लिए 16,500 फीट ऊँची बर्फ से ढकी, सीधी चढ़ाई वाली चोटी पार करना ज़रूरी था। इस बहादुरी और जोखिम भरे काम को करने का जिम्मा स्वेच्छापूर्णक योगेन्द्र ने लिया और अपना रस्सा उठाकर अभियान पर चल पड़े। वह आधी ऊँचाई पर ही पहुँचे थे कि दुश्मन के बंकर से मशीनगन गोलियाँ उगलने लगीं और उनके दागे गए राकेट से भारत की इस टुकड़ी का प्लाटून कमांडर तथा उनके दो साथी मारे गए। स्थिति की गम्भीरता को समझकर योगेन्द्र सिंह ने जिम्मा संभाला और आगे बढ़ते बढ़ते चले गए। दुश्मन की गोलाबारी जारी थी। योगेन्द्र सिंह लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहे थे कि तभी एक गोली उनके कँधे पर और दो गोलियाँ उनकी जाँघ पेट के पास लगी। लेकिन वह रुके नहीं और बढ़ते ही रहे। उनके सामने अभी खड़ी ऊँचाई के साठ फीट और बचे थे। उन्होंने हिम्मत करके वह चढ़ाई पूरी की और दुश्मन के बंकर की ओर रेंगकर गए और एक ग्रेनेड फेंक कर उनके चार सैनिकों को वहीं ढेर कर दिया। अपने घावों की परवाह किए बिना यादव ने दूसरे बंकर की ओर रुख किया और उधर भी ग्रेनेड फेंक दिया। उस निशाने पर भी पाकिस्तान के तीन जवान आए और उनका काम तमाम हो गया। तभी उनके पीछे आ रही टुकड़ी उनसे आ कर मिल गई। आमने-सामने की मुठभेड़ शुरू हो चुकी थी और उस मुठभेड़ में बचे-खुचे जवान भी टाइगर हिल की भेंट चढ़ गए। टाइगर हिल फ़तह हो गया था और उसमें ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह का बड़ा योगदान था। अपनी वीरता के लिए ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह ने परमवीर चक्र का सम्मान पाया और वह अपने प्राण देश के भविष्य के लिए भी बचा कर रखने में सफल हुए यह उनका ही नहीं देश का भी सौभाग्य है।
प्रस्तुति: श्यामनंदन कुमार यादव
अखिल भारतबर्षीय यादव महासभा, बिहार